Category
📚
LearningTranscript
00:00कि अचार्य प्राशंट से हैं is a distinguished contemporary
00:07Vedaanta Xaidh and a prominent voice for social and spiritual awakening.
00:11He is the author of over 160 books including several national bestsellers published by
00:17leading international publishers such as Penguin and harper Collins
00:22his writings deeply connect Indian Dharashan with modern contexts fostering profound self-awareness.
00:29After completing his education at IIT Delhi and IIM Ahmedabad, Acharya Prashant founded the Prashant Advait Foundation, which has now evolved into a global movement.
00:41He is among the rare individuals to have cleared both the highly competitive IIT CAT and UPSC examinations in the same year.
00:50He has been honored with several prestigious awards for his exceptional contributions to animal welfare, environmental conservation and the recent Outstanding Contribution to India National Development Award, conferred by the IIT Delhi Alumni Association.
01:12Good evening, sir. My name is Samir, from 2nd year of Hindu College.
01:16Sir, मेरा प्रश्ण ये है कि हम सब एक समाज में रहते हैं and as a teenager, ये मेरे जीवन का सबसे महनत्वपूर्ण समय हैं.
01:27तो sir, हम समाज के सामने इस तरह से मास क्यों लगाते हैं?
01:31बले ही व्यक्ति, रेश्नल हो और जानता हो कि ये उसका authentic self है, जिसे वो समाज के सामने रखना चाहता है.
01:43लेकिन फिर भी उसे डर क्यों लगता है? ऐसा क्यों है, sir?
01:47जिससे डरे होते हैं, उसके सामने सच नहीं बोल पाते हैं. बस यही बात है. उसको तुम वही चेहरा दिखाओगे अपना.
02:02जो चेहरा वो देखना चाहता है. authentic self उसको कैसे दिखा दोगे?
02:09authentic self कैसे दिखा दोगे?
02:10और यह जवाब कोई बड़ा अद्भुत, विलक्षण गहरा जवाब नहीं है. यह ऐसी चीज़े जिसको आप रोज अनुभव करते हैं.
02:21यहां आपके सब दोश्त त्यार होंगे, आप उनके साथ एक तरह से विवहार रखते हैं, उनके सामने आपका एक चेहरा होता है.
02:40सवाल में एक माननिता बैठी हुई थी, इन्होंने कहा कि हमें पता होता है कि हमारा नकली चेहरा है और असली चेहरा दूसरा है. इसमें आपने शुरुवात की आधी बात तो सही बोली, आगे की बात गड़बड कर दी.
02:56आपने कहा पता होता है कि हम जो अभी किसी को अपना चेहरा दिखा रहे हैं, वो नकली है. हमें ये भी पता होता है कि हमारा असली चेहरा, अथेंटिक सेल्फ क्या है. नकली है यहां तक ठीक है, पर हमें पता होता है असली क्या है, यह गड़बड है. वो जो असली है, वो �
03:26रते हैं एक उतारोगे तो उसके नीचे आपका चेहरा नहीं दिखेगा एक और नकाब दिखेगा
03:31आपके पास जो कुछ है वो कहीं ने कहीं से आया हुआ है क्यों कारण सीधा है आपको सबसे कुछ ना कुछ चाहिए
03:40और आपको जिससे जो चाहिए आपको उसके सामने उसके अनुसार ही व्यावहार करना होता है चेहरा दिखाना होता है तो बहुत सीधी सी बात है रोज के अनुभव की बात है
03:53आप किसी के पास जाते हैं और किसी निता का समर्था के आपको उससे कुछ चाहिए तो आप क्या करते हो आप उसके सामने उस निता को बुराई गाली देते हो
04:05करते हो कि ऐसे नहीं करोगे आप करोगे तो आपको देगा नहीं
04:10तो यहां पर बात आ जाती है फिर डिजायर्स की
04:13आप दूसरों के सामने नकली बनकर इसलिए जीते हो
04:17क्योंकि दूसरों को लेकर आपके पास तामनाई हैं डिजायर्स हैं
04:25जितना किसी से कुछ चाहोगे उतना उसके गुलाम बन जाओगे और उतना उसके सामने नकली बनके जीना पड़ेगा
04:34जितना ज्यादा किसी से कुछ चाहोगे उम्मीद रखोगे उतना ज्यादा तुम्हें उसकी मरजी के अनुसार विवहार करना पड़ेगा
04:45ये अलग बात है कि वो जो उसकी मर्जी है वो भी उसकी अपनी नहीं है
04:49वो भी किसी और का गुलाम है पर वो अलग मुद्दा है अभी हम अपनी बात कर रहे हैं
04:56बात समझ में आ रही है देखो
05:03आप टीनेजर हो आप बड़े हो रहे हो
05:05बहुत तेजी से इन सालों में आप आते हो कि आपका एक्सपोजर बढ़ रहा है
05:14पहले आप जब junior classes में होते हो तो सीधर स्कूल जाते हो आपस आज आते हो
05:19फिर आप senior classes में होते हो तो आप इदा भ्टक भी लेते हो
05:22आप कई बार कोचिंग के लिए दूसरे शहरों में चले जाते हो यह सब होता है फिर जब आप कॉलेज में आते हो तो आपकी फ्रीडम और बढ़ जाती है कई बार तो आप कॉलेज के लिए अपना शहर छोड़के ही आ गए हो फॉस्टल में रह रहे हो बहुत सारा पढ़ाई
05:52आप में कामनाएं खड़ी हो जाती है ठीक है और समाज भी क्योंकि आपको सोशल एक्सपोजर मिल रहा है इसमें आपको अगर पता नहीं है कि आपको सचमुच क्या चाहिए तो फिर आपको सब कुछ चाहिए जिसको यह नहीं पता कि उसे क्या सचमुच चाहिए उसे फिर स
06:22रहता है भीतर
06:25कुछ कापता सा रहता है
06:31भीतर कुछ कमजोर सा रहता है
06:35रहता है न कई बार आप उसको जवानी में
06:39अकिला अपन भी बोल देते हो
06:40पर मतलब यह है कि भीतर कुछ गलबड़ी रहती है हमेशा
06:43उसको नाम कोई भी दे दो जैसे आज कलो
06:47तो नाम मुसको कुछ भी देदो पर भीतर कुछ लगा तो रहता है
06:53कोई उसे अपूर्णता बोलता है कोई उस्या southwest न कुछ बॉल देता है
07:03लेकिन आपको पता नहीं है वह चीज है क्या है
07:09पर पता नहीं है क्या है तो जब पता होता भी नहीं
07:13और पता करना भी नहीं है क्योंकि पता करने का प्रशिक्षन भी नहीं दिया गया है
07:17तो दुनिया में जितनी चीजें होती है आप हर चीज की तरफ भागते हो कि क्या पता यही चीज काम आ जाए
07:22जब मुझे नहीं पता कि मुझे क्या सच मुच चाहिए तो मुझे फिर सब कुछ चाहिए
07:28मुझे नहीं मालू मुझे क्या चाहिए तो मैं यहां भी जाके कि यहां क्या चल रहा है
07:32नौक नौक यहां पर क्या दिख रहा है यहां पर क्या बेचा जा रहा है
07:36अरे यहाँ पर तो मौज है अच्छा उधर सब लोग जा रहे हैं जरा वहाँ भी आजमा लेते हैं यह हो जाता है तो फिर आपकी कामनाएं सौ लोगों से जुड़ जाती है लोगों से दिशाओं से विवस्थाओं से चीजों से जो भी कह लो
07:52आपकी कामनाएं सौ लोगों से जुड़ जाती है ठीक है और हमने कहा जिस से जितनी कामना रखोगे उसके सामने उतना ज्यादा जुकना पड़े और यह कितनी अजीब बात है कि जवानी जो बनी होती है तंकर खड़े होने के लिए दहाड़ने के लिए वो जवानी हमें कामन
08:22परशनिया खिल गई हैं और सब लुभाती हैं जैसे बरसाती पतंगे देखें यहां पर इतनी सारी है यह लाइटे यहां पर अभी एक बरसाती आ जाए पतंगा तो क्या करेगा
08:32वो पूरे समय क्या कर रहा होता है
08:35यहां भी जाएगा, वहां भी जाएगा, यहां भी जाएगा, यहां भी जाएगा
08:39हर एक से वफा करता है
08:44पैसा भी चाहिए
08:50तो उसके लिए भी जाते हो तो वहां पर पहा जाता है
08:55कि अब यह कर लो, वो कर लो
08:56एक नया नकली सेल्फ और चढ़ा लो अपने उपर
09:00और जो नकली सेल्फ हो सबसे आधा पता चलता है
09:03प्लेस्मेंट में इंटरव्यू के समय
09:04इतनी ज्यादा हसरत होती है
09:12इतनी तीवर कामना होती है
09:14कि सिर्फ जूट बोला जाता है वहाँ पर
09:17पहले ही पूछ ले जाता है बताओ इनको चाहिए क्या इन्हें जो चाहिए मैं वही हूँ
09:21तुम दिन को कहो रात तो हम
09:30तुमको पसंद होई बात
09:35उससे पूछा
09:39तुमको पसंद होई बात
09:45प्रेशर्श एवा हाई अट्रिशन रेट
09:49तो बुल रहा है सर आई बिलीव इन रीबर्थ
09:58यह कैसा सवाल कर दिया आपने
10:03जनम जनम का साथ हमारा तुमारा अब बगल एक कमरे में दूसरा
10:07इंट्रिव्यू चल रहा होगा दूसरी कमपनी वह वहां भी जाकर के जनम जनम का वादा करके आएगा
10:12क्यों
10:16और कोई पूछे अच्छा तू बता तुझे यह क्यों चाहिए
10:22क्यों चाहिए और पूछता ही जाए अच्छा है यह क्यों यह क्यों दो तीन सवालों के बाद आपको गुस्सा आ जाएगा क्योंकि आपके पास कोई जवाब होगा नहीं
10:31कि यह बात हसने की हो सकती है मौजाक की हो सकती है मुसे बहुत चुटकले सुना सकते हैं तेर तक हस सकते हैं लेकिन यह बात
10:39ट्रैजिक है क्योंकि आप बिल्कुल वहां पर पहुंच रहे हो जहां आप जिन्दगी के कुछ ऐसे फैसले कर लोगे
10:50जो फिर हो सकता है
10:52कभी पलट न पाओ
10:53आप ऐसी दिशाओं में चले जाओगे
10:58जहां से वापस लोटना संभव नहीं हो पाएगा
11:01उस दिशा में जाकर के आप थोड़ा बहुत
11:08मुर्ट वगरा सकते हो
11:10और उसको आप कह दोगे यह मेरी
11:12फ्रीडा में देखो मैं जिधर को गया मैंने वहाँ पर
11:14थोड़ा सा तो अपना चेंज किया कुछ कस्टमाइज किया अपने हिसाब से
11:18क्या कस्टमाइज किया
11:19यह लगभग ऐसी सी बात है कि
11:26आपको अफगानिस्तान भेज दिया गया है और आप कह रहे हो काबोल में डाला था कंधार आ गया हूँ
11:31फ्रीडम पूरी है मेरे पास
11:32हो तो अभी भी
11:38पलानी इंडस्ट्री में घुज गया हूँ
11:41कंपनी चेंज कर लिए हो तो अभी भी वही न
11:45बात समझ में आ रही है ये मुझे बहुत गजब चालसी लगती है माया की
12:00कि बहुत जल्दी इंसानों में पूरी जिन्दगी का फैसला हो जाता है
12:07अगर हम मानें कि हम सौ साल अब तो कहते हैं 120 साल जीते हैं
12:16तो जो आपका क्लाइमेक्स होता है एनरजी का वो 15 साल से बनना शुरू हो जाता है
12:25ये कितनी अजीब बात है कितनी अजीब बात है
12:29और जो चीज़ खासकर लड़कियों की महिलाओं की बहुत सारी उर्जा लेकर चली जाती है
12:37बहुत सारा उनका समय लेकर चली जाती है वो भी उनकी जिन्दगी बहुत जल्दी आ जाती है
12:41और जल्दी आने का मतलब होता है कि तब तक आपके पास कोई समझ नहीं होती
12:45आप जीने वाले हो सौ साल
12:47और आपको सबसे
12:52कड़े इमतहान में जहां पर आपको बड़े फैसले लेने
12:56वहां आपको डाल दिया गया है
12:58पंदरह से लेकर के तीस की उमर के बीच में
13:00बड़ी नाइनसाफी है है ना
13:04और अकल आनी है पचास साथ में
13:07अब जीना सौ साल है अकल आनी है पचास साल में
13:12और फैसले ले रहे हो बीच साल में तो होगा क्या
13:15तो ये देख लो कि पूरी जो बाजी है वो इस तरीके से रची गई
13:22और अगर ऐसे रची गई है तो दो काम करने चाहिए
13:26जाहिर है पहला बहुत जल्दी फैसले लो मत और दूसरा फैसला लेने से पहले जो maturity कर्व है उस पर तेजी से आगे बढ़ो इंतजार मत करो कि उम्र के साथ maturity आएगी
13:44be mature beyond your physical age 20 की उम्र में वो maturity रखो जो आम लोगों में 35-40 में आती है नहीं तो जब 35-40 में जिन्दगी समझ में आएगी तो सिर्फ पश्टा होगे
13:59प्रक्रतिन विवस्था ऐसी कर दिये है कि आप बड़े फैसले ले ले बिना mature हुए आपकी body जल्दी mature कर दी जाती है कर दी जाती है
14:11बाड़ी इतनी अल्दी mature कर दी जाती है पुबर्टी बारा साल बारा साल में तो आप बहुत ही छोट एक दम बच्चे हो और inner maturity आती है बहुत बाद में
14:22outer physical maturity तो आ गई 12 से शुरू हो गई और inner maturity आई है 40-50-60 में ये एक तरह से existential conspiracy है इससे बचके रहना
14:34और ये conspiracy इसलिए चाहिए ताकि जंगल फलता फूलता रहे मैं Amazon Rainforest की बात नहीं कर रहा हूं भीतरी जंगल ये प्रक्रति की पुरातन व्यवस्था है ताकि जंगल का काईदा आगे बढ़ता रहे प्रक्रति भी जानती है कि आप बहुत समझदार अगर हो गए जल्दी ही
14:57कि दस की उमर में ही अगर एकदम बल्ब जल गए यहाँ पर तो फिर आप उन बेवकूफियों में फसोगे नहीं जिन में जीवन आपको फसाना चाहता है
15:06तो कहते इस से पहले इसको ज्यादा समझ आए इसका काम तमाम कर दो और जब इसको फिर होश आएगा समझ आएगी तब अधिक सदिक पश्टाएगा ही तो फिर पश्टाता रहेगा हमारे क्या जाता है काम तो हो गया
15:20बात समझ में आ रही है जल्दी बड़े फैसले मत लो जल्दी जल्दी चीजों के पीछे मत भागो जल्दी से कहीं भी जा करके ग्राहक बनके या गुलाम बनकर मत खड़े हो जाओ
15:39रुको थमो इसमें मत रहो कि अरे दूसरा उसको तो फलानी जगा इंटरंशिप मिल गई मैं ही पीछे रह गया तुम दो साल बात कर लेना यार
15:53कोई देर नहीं हो गई
15:56फिर होगा जाब लग गई फिर होगा उसका दूसरी यूनिरस्टी में एडमिशन हो गया मैं ही रह गया उसके बाद आएगा कि शादी हो गया बच्चे हो गए यह जितनी चीजें हैं इनमें सबसे आगे वो रहेगा जो सबसे पीछे रहेगा
16:12यह जितनी चीजें हैं इनमें सबसे सफल वो रहेगा जो सबसे विलंब से रहेगा
16:28और अगर जल्दबाजी अच्छी बात होती तो फिर तो जो पैतरिक व्यवस्था थी काम धंदे की वही सबसे अच्छी चीज होती
16:37जो व्यवस्था चलती थी ऊसमें तो आपके पैदा होने के पहले ही दिन तैह हो जाता था
16:44नौकरी क्या करोगे ठीक और अगर आप लड़की पैदा हुए हो तो तैह ही हो जाता कि अब नौकरी क्या
16:54अगर जल्दी से सब कुछ टै कर लेना इतना बढ़िया होता तो फिर तो वर्ण अस्था बढ़ी अच्छी थी ना और बाल भी वहाँ बहुत अच्छा था
17:09है के लिए परेशान हो रहे है इधर जाकर डेटिंग ये वह डंबल बंबल सब चला रहे हो क्या कर रहे हो ये
17:16आठ साल का बनना च्छे साल की बननी बारा साल में गौना तेरा में पहला बच्चा चौदा में दूसरा बच्चा पंद्रावा में तीसरा बच्चा तोलवा में चार बच्चा इभी एक ही बच्चा हुए बताओ क्यों बागे तीन मर गए ऐसे ही होता था
17:3712-14 साल की लड़की बच्चे प्यादा करेगी तो बचेंगे क्या
17:43और 16-18 का होते लड़की भी मर गई
17:48पर दो बच्चे पीछे छोड़ गई प्रकृति खुश है क्योंकि उसको बस एक बात से मतलब है DNA फैलते रहना चाहिए
17:58दो पीछे छोड़ दी ना अलादें काम हो गया बस ठीक है तुम इसी के लिए पैदा हुए थे
18:08तारी जो तुमारी हडबड़ी है वो किस लिए है बताओ तो तुम्हें जल्दी किस बात की है
18:16ले देकर तुम्हें प्रकृति के मनसूबों को ही पूरा करने की जल्दी होती है इसी लिए तलबक तलबक भागते हो
18:23नौकरी भी जल्दी से क्यों चाहिए
18:29मनत कोई वेवस्था है धीतरी शारीरिक बहुत पुरानी जो तुम्हें बेवकूफ बनाने को तयार बैठी है
18:47और तुम और ज्यादा हडबड़ी में हो कि मुझे जल्दी से बेवकूफ बनाओ
18:51यह है डिजायर और इसी डिजायर से उठता है फियर और उसी फियर से उठता है सब्मिशन
18:59कोई क्यों जाकर कि किसी बिलकुल सडेले बॉस के सामने सर जुकाएगा उसे अपना नकली चेहरा दिखाएगा
19:12अगर उसको वो पैसा घर में ले जाके न देना हो बताओ
19:16जो कहते हो ना कि हमें दुनिया के सामने जुकना होता है नकली चेहरे दिखाने होते हैं बात तो समझो
19:23सर जुकाने को तुम अपने आपको मजबूर इसलिए पाते हैं कि विवश्था के पीछे कामना होती है
19:32और ये कामना एक अनेग्जैमिन्ड कामना है ये ऐसी कामना है जिस पर तुमने कभी जाकर विचार नहीं किया कि मुझे ये चीज़ चाहिए भी के नहीं चाहिए
19:46लोग घर खरीद लेते हैं इतनी मोटी एमाई पाल लेते हैं अब उसके बाद आपको पता भी हो कि आपका और्गनाइजेशन करप्ठ है पूरे तरीके से और घटिया काम कर रहा है क्रूयलिटी का काम कर रहा है फेरा फेरी का काम कर रहा है
20:05दुनिया को बरबाद करने का काम कर रहा है आप नौकरी छोड़ सकते हो अप सर जुका के चलोगे वहाँ पर क्यों क्यों क्यों कि आपने वहाँ पर एक हाुसिंग लोन की एमाई बांध लिए
20:16समझ में आ रहा है सर क्यों जुकता है क्योंकि हमारी कामनाई अंधी है और वो जो घर है जिसकी आपने एमाई बांधी है वो और कुछ नहीं है वो जंगल के किसी जानवर की गुफा है
20:31वो वहीं से carry forward हुआ आई बात समझ में आ रही है जंगल में हर जानवर अपने लिए कुछ ठिकाना बनाता है न तो हमारी भी वही
20:40इंस्टिंक्ट है चिड़ी आंडे देने के लिए घुसला बनाती है न वहीं हमारी इंस्टिंक्ट घर होना चाहिए घर होना चाहिए कोई घर घर करे तो समझ लो बात अंडों की हो रही है
20:49कि जब तक समझोगे नहीं कि ये भीतर चल क्या रहा है और ये मैं चीज क्या हूं तब तक यहीं सोचते रहोगे कि ये वह इधर उधर बहुत बढ़िया रंगीन बाजार सजा हुआ है जैसे छोटे बच्चे मेले में आ जाते हैं ऐसे देखते हैं आखे फाड़ के चार और व
21:19काम देते देते तुम बरबाद हो जाओगे मैं इसलिए बहुत जोर देता हूं और बहुत कोशिश करता हूं कि मुझे सुनने वालों में जवान लोग ज्यादा रहें
21:49बिचारे बुज़र्ग जब सुनते हैं तो सिर्फ आहत होते हैं
22:05एक बार तो एक मारने को लगभग कूट पड़ा था मैंने का ठीक है पर ये तो बताओ मेरा अपराद क्या है बोल रहा अगर ये बताना ही था तो तीस साल पहले क्यों नहीं बताया
22:19आए उसकी समस्या ये नहीं थी कि मैं जो बोल रहा हूं गलत है बूल रहा या तो तीस साल पहले आकर बता दिया हुता
22:27तुम्हें बच जाता अब क्यों बता रहे हो बता रहे हो तो सिर्फ उससे मेरी तडब बढ़ रही है मुझे और ज्यादा दिखाई दे रहा है कि यह क्या हो गया मेरे साथ
22:37ऐसे हालत अपनी चाहते हो तीस साल बाद
22:41तुम्हारी मरसी है तुम जानो
22:46गंभीर हो गए काफी
22:51अचारेजी परणाम
22:57मेरा परशन है आज प्रकरिया और परिनाम जो साहे थे के विदार्थि होते हैं नाते
23:08प्रकरिया और परिनाम मुझे पता है कि यह दोनों एक दुसरे के पूरक है
23:14फिर भी आज प्रक्रिया को नहीं प्रिणाम को महत दिया जा रहा है
23:20मैं बहुत दिन से इस विशेविए में सोच रहा हूँ
23:23कि मैं किसको महत दू क्योंकि मैं समाज में देख रहा हूँ
23:26प्रिणाम को ज्यादा महत दिया जा रहा है
23:28और जो प्रकडिया है जो महिनत है प्रयास है उसको दरकिनर किया जा रहा है अब इस भी विचार अब आप इस पर मार्गदशन कीजिए
23:38ये कोई नई चीज थोड़ी है कह रहे हो कि अब समाज में परिणाम को ज्यादा महत्तु दिया जा रहा है
23:44हमेशा से ऐसा था और जब तक ये समझोगे नहीं कि हमेशा से ऐसा था तब तक ये भी नहीं समझोगे कि क्यों ऐसा था
23:51अगर हमेशा से ऐसा था तो उसी की वजह से होगा जो हमेशा से है
23:57अगर ये हमेशा से था
24:00कि हम
24:02हमारी प्रजाति
24:03हमें जो परिणाम चाहिए
24:05हम बस उसके लिए आतोर रहते हैं
24:08प्रक्रिया और बाकी चीजें ये हम बाद में छोड़ते हैं
24:11अगर हमेशा से ऐसा था
24:12तो किसी ऐसे ही कारण से होगा न
24:13जो कारण भी
24:14जो कारण भी हमेशा से है तो ऐसी कौन सी चीज़ है जो हमेशा से है
24:19यही बॉडी इसके पास बस अंधी डिजायर्स होती है उनको पूरा कर दो
24:33ना तो यह यह पूछने देती कि वो डिजायर क्यों है
24:44और नहीं इस बात की परवह करती कि उसको पूरा कैसे करना है
24:48कैसे भी पूरा करो करो दोनों ही सवाल पूछोगे तो यह नाराज हो जाती है
24:56पहला सवाल यह यह चाहिए ही क्यों जो तुम को चाहिए वो चाहिए ही क्यों यह पहला सवाल
25:03और दूसरा सवाल अगर चाहिए तो उसके लिए साधन माध्यम क्या अपनाना है ये दोनों ही सवाल इसको पसंद नहीं है उसको बस एक चीज पसंद क्या वो है मुझे चाहिए वो रही चिज्जू और मुझे चिज्जू चाहिए बच्चा पैदा होता देखते नहीं हो ऐसे
25:33बिना पढ़े अगर टॉप ग्रेड्स मिलें आपको जवाब में इमानदारी चाहिए होगी कितने लोग आओगे क्लास अटेंड करने मेरे कैमपस में तो नहीं आते
25:51परिणाम के लिए ही तो पढ़ाई भी करते हैं न हम
25:59आयम में बोलते थे कि दो ही ओफिस होते हैं एक एड्मिशन्स ओफिस और फिर प्लेस्मेंट ओफिस
26:07बीच में टाइम पास है हाला कि प्रोफेसर्स टाइम पास करने नहीं देते थे वो रगड़ देते थे
26:14पर स्वेच्छा से तो जोर जो स्टूडेंट था वो बस दो चीजों करें लगाता था एक एड्मिशन के लिए और फिर
26:24कियोंकि उसने admission लिया ही पढ़ाई के लिए नहीं placement के लिए है प्रक्रिया के लिए नहीं परिणाम के लिए है
26:32है बिना पढ़े अगर मस्त नौकरी लग रही हो कोई पढ़ना चाहेगा
26:38कि किसी की lottery लग जाती आप lottery या नहीं होती है पर कुछ भी मियान लो कोई भी windfall gain
26:43विट्फ ल केंट समझते हो ना देता शपर फाड़ के तो शपर फाड़ के किसी को भी मिल रहा हो तो कोई ठुकराता है क्या वो बोलता है कि ये मैं तभी स्विकार करूंगा जब किसी उंची प्रक्रिया से आएगा ऐसा भी बोलता है कि तो हम परिडाम भोगी जीव हैं
27:02हम परिणाम भोगी जीव है जब कामना सर उठाती है तो फिर उसको रोकने के लिए इसी लिए हमें बड़ा लंबा ताम जाम करना पड़ता है नैतिक्ता का और आधर्शों का
27:22का जाता है नहीं देखो ऐसे मत करना ऐसे करना क्यों क्यों कि जो शारीरिक वृत्ति है वो तो बस कैसे भी करके पाने की है और उस वृत्ति के सामने सारी नैतिक्ता हार जाती है सारे आधर्श हारते हैं पाखंड बचता है बस बस पाखंड बचता है
27:43अब इससे विपरीत एक बिल्कुल हो सकती है कहानी
27:49वो क्या है
27:49वो कहानी यह है कि
27:52जो मुझे चाहिए
27:57वो इतनी इतनी उची बात है
28:01कि उसके लिए काम करने में
28:06कर्म की प्रक्रिया में ही मैं संतुष्ठ हो गया
28:09आम आत्मी को संतुष्ठ मिलती है परिणाम पाने के बाद
28:16और घोर असंतुष्ठ हो जाती है
28:20खासकर जब मेहनत करी और परिणाम ना आए
28:23और दूसरी कहानी यह हो सकती है
28:28कि काम में ही ऐसे डूबे
28:31क्योंकि बिल्कुल सही काम चुना है
28:34कि अंजाम परिणाम यह सब भूल गए यह भी नहीं है
28:42कि परिणाम ही नहीं प्रक्रिया भी आवश्यक है
28:45हम कहते हैं न दर्शन इससे आगे जाता है
28:53दर्शन कहता है
28:55सही काम तभी कर रहे हो जब परिणाम को भूली जाओ
28:59कि काम में डूबना ही परिणाम हो गया
29:08ये अंतजार नहीं है कि तीन महिने काम करेंगे
29:11फिर परिणाम आएगा
29:12फिर तो तीन महिने तक आख च्ट पढ़ाते ही रहोगे
29:14परिणाम कब आएगा
29:15काम ऐसा कर रहा हूँ मुझे नहीं मालू में
29:20खत्म भी कब होगा
29:21लेकिन हर दिन काम में ही सुकून मिल जाता है, तो इस काम का अंजाम क्या होगा, इक कौन सोचे, काम में ही सुकून है, अगर आपको बहुत ज्यादा अंजाम के बारे में सोचना पढ़ रहा है, तो इसका मतलब यह है कि आपने काम गलत चुना है, इस सूत्र है, अगर आपको
29:51इसका मतलब है कि काम गलत चुनाए अपने
29:53काम ऐसा होना चाहिए कि पता भी न चले कि सेलरी कब आ गई अकाउंट में
30:03दस दिन बात पता चले
30:05हम यहां काम करने आए है सेलरी आ गई अच्छी बात है सेलरी बोनस है
30:15हम salary के लिए नहीं काम कर रहे हैं, salary बढ़ियाँ चीज है, काम कर रहे हैं तो उसका एक financial dimension भी होता है,
30:24तो salary आ जाती है, अच्छी बात है, पर salary के लिए थोड़ी काम कर रहे हैं, salary कब आई पता नहीं,
30:29पर हम इतने ज्यादा result focused हो गए हैं, कि हम कुछ भी करते हैं, तो हम पूछते हैं,
30:44इसमें result क्या मिला, जाकि किसी से गले भी मिलोगे, तो उसके calculator चलाओगे इससे,
30:50पर मिला कितना, तो जो आदनी कैसा होगा, उससे आप गले मिल रहे हो, और फिर वो सर खुजा रहा है, कह रहा है,
30:57पर मतलब fees, कुछ तो ROI होना चाहिए न, ROI मने return on intimacy, चलता नहीं क्या रिष्टों में, हमारी इतनी intimate relationship थी,
31:17मुझे मिला क्या, भाई intimacy मिली, अगर intimate relationship थी, तो और क्या मिलता, intimacy मिल गई न,
31:24खत्म, अभी उसके आगे भी कुछ चाहिए था, उसके आगे भी कुछ चाहिए हो, तो फिर तो उसको खरीत फरोक्त बोलते हैं,
31:30relationship में, couples बोलते हैं, मुझे तुम से मिला ही क्या है, मैं क्या हूँ,
31:48वेंडिंग मशीन हूँ, मुझे से क्या मिलेगा, मैं ही तो मिला हुआ हूँ,
31:54मुझे से क्या मिलेगा,
32:00आ रहे हैं, बात समझ में,
32:11इस पर भी मत रहो कि मुझे परिणाम और प्रक्रिया दोनों ठीक रहे,
32:17पहले पूछो कि वो परिणाम चाहिए ही क्यों, परिणाम मने एक end result,
32:23जिसका संबंद desire से होता है, जो चीज, जिसको अपना लक्ष है, target, goal,
32:30बना रहे हो, उसे बना ही क्यों रहे हो, यह उसके बात किस बात है कि प्रक्रिया क्या होगी,
32:35और जब लक्ष सही बनाया होता है, तो वो सही लक्ष ही सही प्रक्रिया स्वयम निर्धारित कर देता है,
32:44लक्षे ही आपको बता देगा कि प्रक्रिया क्या रखनी है क्योंकि लक्षे स्वयम प्रक्रिया बन जाता है
32:52यह उपर से अभी जा रहा होगा थोड़ा कोई बात नहीं जाने दो
33:14आपका सबसे जो बड़ा दुश्मन है वो आपके भीतरी बैठा है देखिए यह एक लिबरल एज है यहाँ पर कोई किसी को रस्टी से दुबान नहीं सकता
33:31तो हमारे जो बंधन होते हैं न वो सब भीतरी होते हैं
33:38और वो भीतरी बंधन इन ही रूपों में अभिव्यक्त होते हैं मुझे ये चीज़ चाहिए मुझे वो चीज नहीं चाहिए
33:47फलाने परिणाम की मुझे आकांग्शा है यही है डिजायर मत रखो मिशन रखो
33:59चाहत दोनों में मौझूद होती है पर तल बहुत अलग है
34:08डिजायर में भीतरी बेहोशी के केंद्र से चाहा जाता है
34:18और मिशन में समझदारी से बोध से और उसके लिए हिम्मत चाहिए
34:31यूही जो सब कुछ सब लोग चाह रहे हैं उसके पीछे पीछे चलने के लिए क्या हिम्मत चाहिए
34:39पर शेर की तरह अकेले चलने के लिए हिम्मत चाहिए
34:44तो आप जितने भी अच्छे उच्छे सवाल पुछते हो न उन अच्छाईयों की कीमत चुकानी पड़ती है
34:54प्रीडम, पहला सवाल था लिबरेशन, ओनेस्टी, यह सब बाते तो हैं अच्छी बात है लेकिन इनकी कीमत चुकानी पड़ती है
35:06कीमत चुकाईए
35:10कीमत अभी बड़ी लगेगी
35:13पर समझ में आएगा फिर धीरे-धीरे कि
35:16सौधा फाइदे करा
35:18और जब समझ में आएगा सौधा फाइदे करा तो मालूम है अब क्या भूलोगे
35:22नुकसान का भी रहता तो यही करते
35:26यह होता है परिणाम की परवाह न करना
35:37कि कभी यह दिखाई भी दे कि यह सौधा
35:40घाटे में जा रहा है
35:42तो वो जाने दो
35:45कभी दिखाई दे कि अरे बड़ा फाइदा हो गया
35:49तो वो जब घाटे का था तब भी कर तो यही रहते
35:56तो इसमें फिर अब सोचने से फाइदा क्या बार बार
35:59नमश्का सर मेरा नाम रक्षत कपूर है और हिंदी लिट्रेजर बढ़ रहा हूं
36:04सर डारेक्ट फॉलॉप यह कि आपने डिजायर्स की बात की
36:08कि आप मिशन्स रखिये गोल्स मत रखिये परंतु जैसे हम अध्यात्म की तरफ भी जाते हैं तो जो लालसा है मद के लिए माया के लिए
36:17तो क्या वो इतनी गलत है कि हम उससे विमुख हो जाएं या एक सर्टेन लेवल पर आपको एक बायप्रोड़क्ट की तरह उस मिशन के पैसा शोहरत नाम या रेप्यूटेशन या यह सब चीज़ें की मांग होनी चाहिए
36:31अपराद है कि आप अगर अध्यात्मया अपने जिंदिगी को बड़ा उचा बनाना जाते हैं तो आप माया से बिल्कुल बेमुख रहें या यह बायप्रोड़क्ट की तरह हम डेजायर कर सकते हैं देखो एक ही अपराद होता है वो होता है अपने खिलाफ क्योंकि जीना अ
37:01ले देखे परवा तो मैं अपनी करता हूं हर आदमी अपनी परवा करता है और हम जैसे पैदा होते हैं उसमें हमें चैन नहीं होता है हम पैदा ही एक गड़बड स्थित में होते हैं पैदा ही गड़बड स्थित में होते हैं तो जब शुरुआत ही गड़बड होती है बच
37:31सोचो, 22 साल से पढ़ते ही जा रहे हो, कितनी खराब हालत रही होगी पैदा होते वक्त, कि 22 साल से शिक्षा दी जा रहे हो, अभी 2-4 साल और लोगे कम से कम, और तब भी कोई भरोसा नहीं कि कुछ यहाँ जलेगा कि नहीं जलेगा,
37:47यह हमारी हालत होती है, पैदा होते वक्त, जबरदस्त अज्ञान, पाशविक वृत्तियां, तभी तो इतनी एजुकेशन देनी पड़ती है, सोचा नहीं कभी कि इतनी एजुकेशन की जरूरत क्या है, क्योंकि पैदा ही गड़ बड़ हो, नहीं सभी,
38:02तो आदमी जो पैदा ही हुआ है और उसमें बेचैनी है, एक पुटेंशियल, एक संभावना है, बहुत उची संभावना है, लेकिन उसका जो यथार्थ है, वो तो ऐसे यह बिलकुल जानवर जैसा लीचड़, तो फिर स्वयम के प्रति अपराध क्या हुआ,
38:22कि जो तुम्हारी लीचड़ हालत है, तुमने वही बने रहने दी, बलकि उसी लीचड़ हालत, पर और चल चल करके तुमने अपने आपको ओल गिला दिया, पैदाई गड़बड हुए थे और अपने आपको और ज्यादा गड़बड कर लिया, यह है अपराध, और कोई अ�
38:52और बहतर होने की कोशिश करनी है, अब बहतर होने की कोशिश की जगह, मैं जा रहा हूं कुदफांद करने, तो यह अपराध है कि नहीं है तुम जानो, मेरी हालत यह है कि मैं दस तरह के रोग लेके घूम रहा हूं, पर उन रोगों का इलाज करने की जगह है, मैं कहा रहा ह
39:22किसी और की प्रति नहीं
39:24सोयम की प्रति ये अपराद है कि नहीं ये तुम जानो
39:29बात नेतिक्ता की नहीं है
39:32बात सामाजिक आदर्शों के पालन की नहीं है
39:35बात किसी बाहरी कानून की नहीं है
39:38बात अपनी सिंदगी की है भाई
39:40हमारा हमारे ही प्रतिदाइत
39:42तो फिर कहा रहा हूं मेरी हालत यहां से लेके यहां तक खराव है दस तरह के रोग लगे हुए हैं पर उन रोगों पर ध्यान देने की जगह
39:52मैं कहा रहा हूं भाई बता अगला मद माने अगला नशा कौन सा उपलब्ध है मूवी आ रही है कोई यह बता कहीं टूरिजम के लिए चलें यह बता पैसे में लें कुछ अलग तरह की शॉपिंग कर लें यह बता
40:07और इलाज हो सकता है लाई इलाज कोई नहीं है इलाज सबका हो सकता है पर इलाज के लिए जो उसके पास समय और संसाधन है उसको वो खर्च कर रहा है शॉपिंग मॉल में
40:23आपके पास कुछ पैसे हैं जिससे आपके कैंसर का इलाज हो सकता है यह एक जन्मगत कैंसर है गौतम बुद्ध ने खाए पहली बात जन्मदुख है और उसके बात का भी सबकुछ दुख है सरवम दुखम
40:38तो यह एक जन्मजात कैंसर है
40:42और उस कैंसर के इलाज के लिए आपके पास
40:44कुछ पैसे है छोटे
40:45कुछ समय है आपके पास
40:47और वो पैसा और समय आप कह रहे हो इधर जाना है
40:49उधर मौज मार निये करना है वो करना है
40:51जब मौज मार भी रहे हो तो भीतर से कैसा अनुभव कर रहे होगे
40:54कैसा बेचैनी क्योंकि वो तो कैंसर भीतर बैठा ही हुआ है न
40:59मौज के क्षण में भी वो आपको दुखी ही रखे हुए है
41:03पर आप बाहर बाहर ऐसा अभिने करते हो जैसे मौज आ गई
41:06सुख में सबसे बड़ी समस्या यह है कि वो जूट है
41:11तुम्हें सुख है ही नहीं तुम ढोंग कर रहे हो सुख का
41:14और दर्शन और अध्यात में इसलिए होते हैं ताकि आपको सचमुच सुख मिल सके
41:20नहीं तो जिसको आप कहते हो कि सुख में क्या आप राध हो गया
41:23इसमें क्या बुराई हो गई
41:24भाई मैं फन लविंग हूँ
41:27इसमें बुरा क्या है इसमें बुराई ये है
41:29that you are having no fun at all
41:30अगर तुम सचमुच
41:33मौज ले रहे होते तो ये तो
41:35मज़िदार बात हो जाती हम भी तुमारे साथ आ जाते
41:37कोई एक्दम मस है लड़ खडा रहा है गिर रहा है कुछ कर रहा है
41:42और सो तरीके की नलाई कियां कर रहा है
41:44और आप उसको बोलने जाओ कि भाई बहुत हो गया चल
41:46बोले मैं मौज ले रहा हूँ
41:48तुझे क्या प्रॉब्लम है
41:50बोलो मुझे प्रॉब्लम यह कि तू मौज नहीं ले रहा है
41:53और अगर तू सचमुच मौज ले रहा होता तो मैं भी वही करता जो तू कर रहा है
41:57बिल्कुल कर लेता तूर पस कोई मौज नहीं है तू धकोसला कर रहा है
42:01तु अपने आपको भी धोखा दे रहा है कि तुझे मौज है
42:05उपर उपर से तुम बस हैपिनेस के लक्षन प्रदर्शित कर रहे हो
42:11जैसे कि दांत ऐसे कर दिये
42:13हाँ हाँ कर दिया किसी को बधाई हो
42:15congratulations बोल दिया
42:17तुम ऐसे दिखा रहे होगी जैसे बड़ी खुशी है
42:19तुम खुश हो नहीं ये समस्या है
42:21तो सुख वर्जित नहीं है जूटा सुख वर्जित है
42:26और वर्जित किसी दूसरे के द्वारा नहीं है
42:29हमने क्या कहा हमारी जिम्मेदारी किसके प्रति है
42:32हमारे इप्रति हैं और हम खुद को जूठे सुख की चाशनी चटाते रहते हैं और कहते हैं माई लाइफ
42:40इस ओके डूइंग वैल या गुड मॉर्निंग वोट्स गूड अब अगर अच्छा काम कर रहे हो और उसके सह उत्पाद
43:00बाई प्रोडक्ट के रूप में आपको कुछ चीजे मिल जाती है तो क्या है तो मिलती ही रहे अच्छी बात है बोनस है बढ़िया है पर उस चीज के लिए नहीं कर रहे हैं चीज नहीं भी मिलेगी तो वहीं करेंगे
43:13देखो सही भात तो यह है कि बाई प्रोड़क्ट के तौर पर वो सब भी मिल जाता है
43:18मेटा जो तुमने कभी मांगना तो छोड़ तो सोचा भी नहीं था
43:23वो सब भी मिल जाता है लेकिन फिर भी फर्क नहीं पड़ता क्योंकि तुम उसके लिए थोड़ी काम कर रहे हो
43:29और यही खूबी होती है अच्छे और असली काम की और अच्छी और असली जिंदगी की
43:35उसमें बिना मांगे बहुत कुछ मिलने लगता है तुमने मांगा नहीं था तुमने सोचा नहीं था चाहा नहीं था
43:41मिलने लग जाता है बहुत कुछ
43:43पर जो बहुत कुछ मिल रहा होता है तुम्हाई लिए छोटी चीज होती है
43:46क्योंकि तुम्हारा प्यार
43:49असली चीज से है
43:51और इसलिए फिर तुम आजाद रह पाते हो
43:54क्योंकि जो मिल रहा है वो कोई रोक सकता है किसी तरीके से
43:58रोक भी सकता है न
43:59क्योंकि देना न देना ये तो परिस्तितियों के हाथ में
44:01सायूंगों के हाथ में भी है
44:02तो कोई उस चीज को
44:05वो जो बाई प्रोड़क्ट के तौर पर तुम्हें मिल रही है चीज
44:07कोई उस चीज को रोक करके फिर
44:09तुम्हारी कलाई नहीं आट सकता
44:10आपका बॉस
44:14ऐसे आपकी कलाई मरोड देता है ना बोलके कि
44:17पैसे काट लूँगा
44:18अप्रेजल नहीं होगा तेरा
44:21क्योंकि आपको जो मिल रहा है उसके हाथ में होता है
44:24आपको जो मिल रहा है उसके हाथ में तो फिर वो आपको
44:26तो जिस आदमी
44:28के लिए बहुत जरूरी हो गया
44:30जो बहुत महत्तो देने लग गया उन चीजों को
44:32जो उसे काम से मिल रही है वो फिर सही काम
44:34नहीं कर पाएगा वो पाएगा कि
44:36बार बार उसकी कलाई
44:38उमेठी जाती है चाहे वो काम में हो चाहे रिष्टे में हो चाहे किसी चीज में हो जीवन के किसी बिक्षेत्र में
44:46दूसरी और आपको जो मिल रहा है वस इंसिडेंटल है सायोगिक है तो मिल गया तो बहुत अच्छी बात नहीं मिला
44:55फिर ऐसे आए कि भाई मेरा जो काम है वही मेरे लिए 10 करोड का है और जो तुम चीज दे रहे हो 100-200 रुपए की
45:0310 करोड के काम को कर रहा हूँ
45:0610 करोड तो मुझे मिली रहा है
45:08उसको करने से ही मिल रहा है
45:09उसके बाद 100 रोपिया मिल गया
45:12तो भी ठीक
45:13और नहीं मिला
45:14तो भी ठीक हम गिनेंगे ही नहीं
45:16हम गिनेंगे ही नहीं
45:18आज आप लोगोंने
45:22मैं यहां पर आया
45:23तो इतना बढ़ा चढ़ा करके मेरा परिचे दिया जिसके तो मैं लायक भी नहीं हूँ
45:34बुड़ा अच्छा स्वागत कर रहे हैं बहुत अच्छा है
45:41और आपको मालू मैं आज से 10-12-15 साल पहले बलकि 20 साल पहले से
45:47ऐसे ही auditoriums में, colleges में मैं student सामने जाता रहा हूँ
45:53कोई स्वागत नहीं कर रहा होता था तब
45:55ऐसे भरा भी नहीं होता था, आप लोग यहां सीडियों पर बैठे हो
46:00मामला खचा-कच भरा हुआ है, कुछ नहीं होता था
46:02पता नहीं मेरी आवाज ऐसी है, सूरत ऐसी है, जितना भरा होता था वो भी खाली हो जाता था
46:08लेकिन जितना मैं आपको आज समझा पा रहा हूँ
46:16जितना दे पा रहा हूँ
46:17जितने जोर से आप तक बात को ला पा रहा हूँ
46:21इससे बहतर मैं उन तक ला पा रहा था तब
46:24जब क्यों मुझे कुछ नहीं दे रहे थे
46:26वहां क्या मिल रहा था
46:27बलकि एक तरह से कहूं तो उपेक्छा और अनादर मिल रहा था
46:31मात आरी समझ मैं
46:37आप इतना कुछ दे रहो तो इसका मतलब यह थोड़ी है कि मैं आपको कुछ अतरिक्त दे सकता हूं
46:42मेरे पास जतना था मैंने तब भी दिया मेरे पास जतना है में आज भी दे रहा हूं और तब शायद मैं थोड़ा युवा था तो
46:52मैं और जोश से दे पाता था
46:54कि लिए खाक आरेगे बात कि ऐसे ही है कि बहुत बड़ा औडिटोरिय में उसमें कुल दस जने बैठे लुए है और वह भी क्यों बैठे है क्योंकि यहां मिल रहा लुक्लास्रूम में नहीं है
47:14आपको में काई बार तो मंझपी नियुँड मैं नीचे उतरता है।
47:19आथ से पकड़ के लाता है दस जनों को ऐसे बैठाता था, और 10 जनों के लिए 2 to 13 घंटे भोलता था।
47:27मैं आज भी आप से 2 घंटे बात कर रहा हूं।
47:29तो आप से ये बात करके
47:33मुझे कुछ अतरिक थोड़ी मिल रहा है
47:35मैं उतना ही तब भी कर रहा था
47:37उतना ही आज भी कर रहा हूँ
47:38और किसी दिन आप मुझे बुला के और बड़ा तमगा दे दो
47:41तो भी मैं बात इतनी ही करूँगा
47:44क्योंकि आज भी मैं जितनी कर रहा हूँ
47:46उससे अधिक मेरे पास कुछ है नहीं
47:48मैंने कुछ छुपा के बचा के नहीं रखा है
47:50कि मुझे जब और देंगे
47:52तो फिर मैं और दूँगा
47:53मैं शत प्रतिशत 20 साल पहले भी दे रहा था
47:57आज भी दे रहा हूँ 20 साल बात भी दूँगा
47:59कुछ मिल गया अच्छी बात है
48:01कुछ मिल गया अच्छी बात है
48:04आपने एक समारिका दे दी
48:06शौल दे दी बहुत अच्छी बात है धन्यवाद
48:08पर अगर आप नहीं देते
48:10तो क्या ये सत्र ऐसा नहीं होता
48:12ये तब भी ऐसा ही होता, कुछ मिल गया बहुत अच्छा है धन्यवाद
48:16देना आपका काम है, आपकी ओर से देना, आपका काम है और मेरी ओर से देना
48:22आप मुझे यहाँ पर आ करके सम्मान दे दो, आप जानो
48:29और मैं यहाँ पर आ करके आपसे दिली बातचीत करूँ, मैं जानू
48:34बात आ रही है समझ में, किसी दिन हो सकता है करोडों मिलने लग जाए, किसी दिन हो सकता है कुछ हो जाए
48:42बड़ा परुसकार, अंतर राष्ट्री कुछ मिल जाए, बोलना तो मुझे तब भी यही है
48:50कोई नेता सामने बैठाओ, मैं उससे भी यही बात करता हूँ, जो आपसे बात कर रहा हूँ
48:57ऐसा थोड़ी है कि यहाँ पर बड़ी बात करनी है, आप होगे बहुत बड़े नेता
49:01चाहे मैं स्कूली बच्चों से बात कर रहा हूँ, चाहे बुजर्गों से बात कर रहा हूँ, बात तो होई है
49:08उससे अलग-अलग चीजे मिल रही होंगी भले ही, ठीक है
49:12मेरा नाम विशाल है, मैं पेशे से पीडियाट्रीशन हूँ, मैं अचारी जी से करीब एक साल छे महने पहले जुड़ा हूँ
49:35आचारी जी के गीता सत्रों से जुड़ने के बाद, मेरे जीवन में कई सारे बदलावाइए हैं, उन सारे बदलावếu को विस्तृत रूप से तो मैंने रह नहीं बता सकता
49:45लेकिन हम कई बार अपना जीवन बिताते जाते हैं, हमें लगता है कि हमें हमारी जो परिशानिया हैं, हमें हमारे जो भीतर जो चल रहा होता है, जो भी सवाल उठ रहा होते हैं, उनके कोई सही जवाब मिलते नहीं है, हमें बस कोई राज चलता कोई कुछ भी बोल देता है कि
50:15बिता देते हैं और फिर जब अचानक खुलती है तो हमें ऐसास होता है कि हमने अपने जीवन में के बहुत सारे समय गमा दिये और अभी भी जो भीतर की बेचाइनी है वो ऐसी की बैसी है तो ये चीज जब चारी जी से हम जुड़ते हैं तो सवालों का जवाब हमें मिलता है �
50:45कर दो