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00:00नमस्ते अचारे जी, मेरा नाम चंदन है और ये मेरा बीटा है, इसे रेलेटिड ही एक कोशन है, ये हमेशा चंचल रहता है, कुछ न कुछ शाद है, मैं अपने भीतर भी देख पाती हूँ, कि हमेशा कुछ न कुछ मन को चाहिए है, हमेशा, तो इसकी जो समस्या है और मेरी
00:30बच्चे में क्या बुड़ों में भी, तुम अपने हग का काम करो, हम अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे, तुम गिराओ, हम बचाएंगे, बाकी कूद फांद, धमा चौकडी, ये बिलकुल रुखनी नहीं चाहिए किसी हाल में, हर उम्र की कुछ प्राकृतिक बाते होती
01:00मेरा नाम चंदन है, और ये मेरा बीटा है, इससे रिलेटिड ही एक कुश्यन है, जैसे अभी ये हमेशा चंचल रहता है, कुछ ना कुछ चाहता है, मतलब दोस्त होने चाहिए, टीवी होनी चाहिए, फोन या फिर किताब है, मतलब एक सेकिंड भी ये खाली नहीं बैठा �
01:30कि हमेशा कुछ ना कुछ मन को चाहिए, हमेशा, तो इसकी जो समस्या है, और मेरी समस्या में कोई अंतर है क्या?
01:45उसकी तो कोई समस्या है ये नहीं, उसकी तो आ है, उसकी तो बस आप है समस्या, बढ़िया बंदा है, बिलकुल अपने जैसा है,
02:00और अचारी जी इसकी इसने क्लास में पांच बच्चों का ग्रूप बनाया अपना उसका वो इसको गैंग बोलता है इसने आपके जो श्लोग हैं वो गैंग को कुछ भी काम स्टार्ट करने से पहले वह वह प्ले इसने सिखा दिया तो शुरू करते ही वह बोलते हैं पड़िय
02:30कि यह सब सब ऐसे ही हैं कि विल्कुल जैसे और आज इनको भुखार भी था इनका आने का वह नहीं था बट इसने बोला कि अगर हमें पर्मिशन मिली है तो आज मैं किसी भी हालत में जाओंगा अंदर नहीं आने दिया जा रहा था भी कि आप यह बहुत शोर मचाएंगे ब
03:00मुझे भी बुखार है हम दोनों ही बुखार बुखार हो गए हमस्तिया गया है कोई जनस था ने ठीक अच्छा है बढ़ियां ऐसे होना चाहिए और कैसा होगा
03:13हमस्तिया पीछे को बैटे ते हैं यहां क्यों नहीं आये नाम बताओ अपना अरे वा अधार्थ
03:27बताया ना जब बच्चों को यहां आगे भी जगए नहीं मिलती तो मैं उन्हें यहां बैठाता हूं यहां बैठते हैं फिर बैठोगे
03:37दीखिये हम लोग क्या कर देते हैं उसको उसके जैसा छोड़ दें तो यहां उपद्रव करें मजे करें एक कुरसी से दूसरी कुरसी पर भागें कुछ करें रौन दें
03:53यह कोई थोड़ी है कि हमने गुड मैनर सिखा दिये हैं यह एक तरह की दहशत ही होती है बहुत हो लगे कि ज्यादा ही परशान कर देगा तो लाईए ही मत कुई बात नहीं लेकिन उनको जैसे हैं रहने दीजिए कोई धमस्या नहीं
04:16और एक बात यह हैं अचारे जी कि अब किसी के भी बड़े में जाते हैं तो आपकी किताबों के अलावा कुछ भी गिफ्ट नहीं देते हैं अभी कजन ब्रदर का बड़े था वो उसकी उम्र 20 साल है जब उसने वो आपकी पुस्तक ली हाथ में तो उसने बोला कि यह ग्यान
04:46इसा कुछ बोला या लिखा है नहीं जो इतने छोटे बच्चे की समझ में आए तो अभी अगर इसको मेरी किताब यह अच्छी भी लग रही है तो बस यह है कि शायद मुझे स्क्रीन में देखता होगा जब आप गीता सत्र देखते होंगी तो वह एक तरह का लगाव बस है
05:16और नहीं समझ मारा तो किताब लेकर क्यों गूमते हो तो और और चोटे बच्चों की आती हैं पांच वार साल वालों की भी किताबे आती हैं अच्छी रहती है उसमें भी जो चित्र कथाएं होती है या बोध कथाएं होती है वो बहुत अच्छी रहती है आप कहींगी तो �
05:46प्रेरित हैं और भगत सिंग की जीवनी जन्म से लेके मृत्यू तक प्रिंसिपल को सुनाई थी इन्होंने तो प्रिंसिपल बहुत खुश होई थी इस बात दे
05:55सहज विकास होने दीजेगर ठीक है सहज विकास धीरे धीरे करके जो और गंभीर बातें हैं उनकी और खुदा कर्शेत होंगे ये पर ये उम्र के जिस पड़ाव पर है तो वो चीजें जो अभी क्योंकि ब्रेन से भी फर्क पड़ता है ना पांक की उम्र में अभी उतना विक
06:25ही आने दीजिए बाकी कूद फांद धमा चौकड़ी ये बिल्कुल
06:34कि रुकनी नहीं चाहिए किसी हाल में मजा आ गया ही देखिए
06:38मेरा ये पक्षा आप लोग बहुत याद रख लेते हो कि किताबें वगएरा बच्पन में बहुत थी पढ़ते थे
06:49मैंने खुद ही बोला भी है पर उस बात को कोई सामने नहीं लाता हाइलाइट नहीं करता कि मैं नलायक भी बहुत था
06:58लोग में ल्वक्षा का वि मॉनिटर था हमारे हाँ होते थे चार सब्सक्राइश आप सहादा बहर खड़ा रहता है
07:23तो कई बार विचे त्रिस्थिति आ जाती थी, टीचर क्लास में नहीं होती थी, तो क्लास को मैनेज करने के लिए डिसेप्लिन में मॉनिटर की जरूरत है, और मॉनिटर भाहर खड़ा है, तो तब मैं धीरे से कहता था कि मैं चला जाओ, मैं रोक लूँगा,
07:43क्लास पूरी मैं समाल लूँगा, पिर टीचर की मजबूरी रहती थी, वो मुझे अबीतर भेज देती थी, फिर बात में कहती थी तो तुम समाल लोगे, तो मैं कौन समालेगा, तो कुछ सब चलता रहता था, शरारत, नौटीनेस, बड़ी जरूरी चीज है,
08:10बच्चे में क्या, बुढ़ों में भी, शरारती आदमी चाहिए, यहों, यंग मैन, ऐसे गंभीर होके नहीं बैठते हैं, उरसी उरसी गिराओ, कुछ करो,
08:30क्यामरे लगे हुए हैं, बढ़ियां खिलोने की तरह, तुम अपने हग का काम करो, हम अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे, तुम गिराओ, हम बचाएंगे, तुम अभी से हमारी उमर के बन जाओगे, तो हमारी उमर तक फिर,
08:46हम पना काम करण, हम अपना काम करते हैं, अच्छा बच्चा बहुत बनाने की कोशिश मतिया करिये, बच्चे को, में बुरा बच्चा भी बनाने के लिए नहीं कह रहा हूं,
08:59हर उम्र की कुछ प्राकृतिक बातें होती हैं वो होने दिया करिए
09:08बोध प्रक्रति के विपरीत जाकर के नहीं आता प्रक्रति को दबा कर नहीं आता ऐसा नहीं है कि
09:17बच्चे की शरारत रोक देंगे तभी आप उसको पंचतंत्र या हितोपदेश या फिर कौन सी है हमारी दीदी जो गुज़ गई थी वंडरलेंड में एलिस एलिस इन वंडरलेंड या इस ओपस फेबल्स तभी पढ़ा सकते हैं वो शरारत के साथ भी पढ़ाई जा सकती है
09:38ठीक है तो मैं खुद उस बात का प्रमाणूं मुझे पता है यह दोनों चीज़ें वो एक्जिस्ट कर सकती है
09:59क्या प्लान है अब रात का क्या प्लान है आपके साथ एक फोटो क्लिक कराने से वो तो ठीक है वो तो अच्छे बच्चों वाली बात हो गई है
10:07और दूम कहां में जानी है पोड़ा फड़ी यह सब कहां होगा
10:27देखो तो इधर तुम क्या शर्मा आ रहे हो यह सब किसने सिखाया तुमको
10:31माच करो
10:37शुक्रिया जाय जी