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  • 5/4/2025
Mohammad Bin Qasim Ek Nidar Janbaaz Ki Daastan By ATV Searial Visit on Telegram Type ATV Searial Official मोहम्मद बिन क़ासिम एक प्रसिद्ध मुस्लिम सेनापति थे जिन्होंने 8वीं शताब्दी में सिंध और मुल्तान पर विजय प्राप्त की थी। वह उमय्यद खलीफा के शासनकाल में एक महत्वपूर्ण सैन्य अभियान का नेतृत्व किया था। जन्म 695 ईस्वी में ताइफ, अरब में हुआ था। विजय उन्होंने सिंध और मुल्तान पर विजय प्राप्त की, जिससे इस्लाम का प्रभाव इस क्षेत्र में बढ़ा। सैन्य अभियान उनकी सैन्य रणनीति और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें एक सफल सेनापति बनाया। इतिहास में महत्व मोहम्मद बिन क़ासिम की विजय ने भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लाम के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मोहम्मद बिन क़ासिम की विरासत भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है जिसने क्षेत्र की राजनीतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक तस्वीर को आकार देने में मदद की। ATV Searial kurulus Osman season 6 destan Urdu Hindi makki TV subtitles Young Ibn Sina Mohammad Bin Qasim PTV Urdu TRT original
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00:00हिंदुस्तान में लंबे समय मुस्लिम सत्ता स्थापित रही है। अगर समय का आकलन किया जाए तो लगभग 12202 से लेकर ब्रिटिश सत्ता के भारत का सिर्मौर बनने तक भारत की शीर्ष सत्ता पर ज्यादतर मुसल्मान शासकी हुए।
00:15हालांकि ऐसा नहीं है कि इससे पहले तक भारतिय सर्जमी पर इसलाम धर्म का आगमन नहीं हुआ हो। देश में 12202 के आसपास पहली मुसलिम सत्ता स्थापित होने से लगभग 500 साल पहले ही यहां इसलाम ने दस्तक दे दी थी।
00:34सिर्फ 17 साल की उम्र में ही मुहम्मद बिन कासिम को सिंध की मुहिम पर सालार बना कर भीजा गया। उनकी फतुहात का सिलसिला 711 इसवी में शुरू हुआ और 713 इसवी तक जारी रहा।
00:48उन्होंने सिंध के महत्वपूर्णक शेत्रों को फत्ह किया और मुल्तान को जीत कर सिंध की विजय को पूर्णता तक पहुँचाया। लेकिन उत्तर भारत की और बढ़ने की उनकी इच्छा हालात के कारण पूरी नहों सकी।
01:00मुहमद बिन कासिम की उम्र कम थी लेकिन इस कम उम्र में भी उन्होंने न केवल एक महान विजयता के रूप में अपना नाम बनाया बलकि एक सफल प्रशासक होने का भी प्रमाण दिया।
01:09उन्होंने लगभग चार साल सिंध में बिताए और इस थोड़े समय में न केवल विजय प्राप्त की बलकि शासन का एक बहतरीन धाचा भी स्थापित किया।
01:16उन्होंने ऐसे शासन की नीव रखी जो न्याय के सभी मान दंडों पर खरा उतरता था।
01:21मुहम्मद बिन कासिम ने अपनी क्षमताओं, साहस, सूज-बूज और अच्छे व्यवहार के कारण भारत में जो कारणा में अंजाम दिये वे उल्लेखनीय हैं।
01:30उन्होंने सिंध की जनता के लिए सहिश्वूता की एक उतकृष्ट नीती अपनाई।
01:35सिंध की विजयने राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और व्यावारिक हर दृष्टिकोंड से गहरे और व्यापक प्रभाव डाले।
01:41मुहम्मद बिन कासिम एक नौजवान थे।
01:44इस कम उम्र में उन्होंने सिंध की मुहिम पर सेनापती के रूप में जो कारणामे अंजाम दिये, वे उनके चरित्र की पूरी तरह से जलक दिखाते हैं।
01:53वह जबरदस्त युद्ध कौशल और प्रशासनिक क्षमताओं के मालिक थे।
01:58इन क्षमताओं का प्रमान सिंध की मुहिम की सफलता ही है।
02:02उनके नैतिक और चारित्रिक गुणों का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि एक गैर कौम भी उनकी प्रशंसा करने लगी थी।
02:10सिंध की जनता उनसे बेहद प्रेम करने लगी थी।
02:14तारीख ए सिंध के लेखक इजाजवल हक खुद सी लिखते हैं।
02:18जब मुहम्मद बिन कासिम सिंध से रुकसत होने लगे तो पूरे सिंध में उनके जाने पर अफसोस जताया गया।
02:25उनकी मृत्यू पर करीज शहर के हिंदूओं और बौधों ने अपने शहर में उनका एक मूर्ती बना कर अपनी श्रध्धा व्यक्त की।
02:33यही उल्लेक फतुहुल बुल्दान के लेखक बलाजरी ने भी किया है।
02:38मुहम्मद बिन कासिम का व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली था।
02:41उनका व्यवहार ऐसा था कि लोग तुरंथ ही उनके प्रशनसक हो जाते थे।
02:45उनकी वानी मधुर थी और चहरा मुस्कुराता हुआ।
02:48वे एक साहसी, उदार, दयालू और मिलनसार व्यक्ति थे।
02:53वे हर व्यक्ति से प्रेम पूर्वक पेश आते और उनके अधीनस्थ लोग उनका अत्यधिक सम्मान करते थे।
02:59सामान्य जीवन में वे लोगों के दुख दर्द में सहभागी होते थे।
03:03उन्होंने हर मोड पर बुधिमानी और विवेक का पूरा उपयोग किया और उनका हर कदम सफलता की दिशा में बढ़ता था।
03:11उनकी उच्च सोच और द्रड निश्चय ही उनकी सफलता का प्रमान थे।
03:15मुल्तान की विजय के बाद मुहम्मद बिन कासिम ने उत्तरी भारत के हरे भरे क्षेत्रों की ओर बढ़ने का इरादा किया।
03:23सबसे पहले उन्होंने कन्नौज के राजा को इसलाम अपनाने का निमंत्रण दिया।
03:28लेकिन जब उसने इसे अस्विकार कर दिया, तो मुहम्मद बिन कासिम ने कन्नौज पर आकरमन की तैयारी शुरू कर दी।
03:35इसी दौरान 95 हिज्री में हज्जाज बिन यूसुफ का निधन हो गया, जिस कारण मुहम्मद बिन कासिम ने कन्नौज पर चढ़ाई करने के बजाए वापस लोटने का निर्णय लिया।
03:47हज्जाज बिन यूसुफ की मृत्यू के कुछ समय बाद खलीफा वलीद बिन अब्दुल मलिक ने सभी पूर्वी प्रांतों के गवर्नरों को आदेश दिया कि वे सभी फतुहात और आगे की सैन्य कार्यवाहियों को रोक दें।
04:01इस प्रकार मुहम्मद बिन कासिम की उत्तरी भारत को जीतने की इच्छा परिस्थितियों के कारण पूरी ना हो सकी।
04:09कुछ ही महीनों बाद 96 हिजरी में खलीफा वलीद बिन अब्दुल मलिक का भी निधन हो गया।
04:15उम्वी खलीफा वलीद बिन अब्दुल मलिक की मृत्यू के साथ ही सिंध के विजेता मुहम्मद बिन कासिम का पतन शुरू हो गया।
04:23क्योंकि वलीद के बाद उसका भाई सुलेमान बिन अब्दुल मलिक खलीफा बना।
04:29सुलेमान हज्जाज बिन यूसुफ का कट्टर दुश्मन था।
04:33हाला कि हज्जाज की मृत्यू सुलेमान की खिलाफत शुरू होने से पहले ही हो चुकी थी।
04:39फिर भी उसने अपनी दुश्मनी का बदला हज्जाज के पूरे परिवार से लिया।
04:44मुहम्मद बिन कासिम की तमाम सेवाओं और उपलब्धियों को नजर अंदाज करते हुए केवल हज्जाज के परिवार से संबंधित होने के कारण सुलेमान ने उन्हें सज्जा का निशाना बनाया।
04:56सुलेमान ने यजीद बिन अभी कप्षा को सिंध का गवर्नर नियुक्त किया और आदेश दिया कि मुहम्मद बिन कासिम को गिरफतार कर भेजा जाए।
05:06जब उनके साथियों को इस गिरफतारी की सूचना मिली तो उन्होंने मुहम्मद बिन कासिम से कहा कि हम आपको ही अपना नेता मानते हैं और आपके हाथ पर बैयत करते हैं।
05:18हम खलीफा का हाथ आप तक नहीं पहुँचने देंगे। लेकिन मुहम्मद बिन कासिम ने खलीफा के आदेश के सामने सिर जुका दिया।
05:26यहीं उनकी महानता की सबसे बड़ी मिसाल है। अगर वे चाहते तो सिंध का हर कण उनकी मदद के लिए तयार होता।
05:34लेकिन उन्होंने स्वयम को अभी कपशा के हवाले कर दिया। मुहम्मद बिन कासिम को गिरफतार कर दमिश्क भेज दिया गया। जहां सुलेमान ने उन्हें वासित के कारागार में कैद करवा दिया।
05:46साथ महीने तक कैद की कठिनाईयां जेलने के बाद मात्र 19 वर्ष की आयू में 18 जुलाई 715 ईसवी को वे इस दुनिया से रुकसत हो गए।
05:57इस प्रकार एक महान सेवक की उसके खलीफा ने कद्र नहीं की और एक ऐसा विजेता जिसने अद्वितिय सैन्यक्षमताएं, साहस, सूजबूज और श्रेष्ट चरित्र के साथ कार्य किया, केवल व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण अपनी जान से हाथ धो बैठा।
06:14उनकी मृत्यू इसलामी दुनिया के लिए एक बड़ा नुकसान था, लेकिन भारत में उन्होंने उन्होंने हासिल की, वे इतिहास के सुनहरे अक्षरों में दर्ज हैं।

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