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  • 5/3/2025
Song : Anpadh Dulhin Urf Savita Kand
Album : Anpadh Dulhin Urf Savita Kand
Singer : Parshuram Yadav
Lyricist : Sri Narayan Yadav
Producer : Sandeep Nishad
Digital : Amarnath Prajapati
Digital Partner : 7Sargam Digital
Trade Inquiry : 7007149143 , 9696961705

Category

🎵
Music
Transcript
00:00सवरिया हो रम अब मोर राम रें सवरिया हो रम
00:13गहना सुने वाला किशोरी शर्मा बाबुजी असना तक बेरोजगार था
00:24नवकरी नहीं मिल रही थी दरदर की ठोकरे खा रहा था नवकरी की तलास में एक बार फिशोरी सर्मा जब त्रिविंद्रम में पहुचा तो नवकरी तो उसे नहीं मिली
00:35मगर जिन्दगी का एक छोटा सा आधार मिल गया
00:38श्यामलाल इंजिनियर के संपर्क में आया
00:41और उन्हीं के संपर्क में राकरके
00:45वह ठीकेदारी का काम करने लगा
00:47अबत में उसे हो गई शराब की नसा
00:51कबाब उकट रहा चड़ी शबाब की नसा
00:53आज काल भईया अगर केुए ठीकेदार इचेमकावल चाहे
00:58तो दूई काम करना जरूरी बाँ
01:00देखें सत्य हमेसा करवा होता है या कट उसत्य है
01:04दूई काम करना जरूरी पढ़ी ठीकेदार लोगन के
01:08पहली बात की परयाब्त कमीशन देवे के पढ़ी इंजिनियर
01:12दूसरी बात
01:14कि
01:15हप्ता में जोनबाम
01:20बईट के कम से कंद दूई दिन
01:22शराब का दौर तो चलो ही के पड़ी
01:24सेवा स्वागत में
01:25तब ठीके दारी चमकी नहीं बीच में ठीका चमक लेकर उवासा न रखे
01:29यह सवेयाव भगत करे में
01:32कि सोरी सर्मा
01:34जो उनकी आला नंबर का सब भे रहलन
01:36आला नंबर का शराबी बन गिलन
01:38एक दिन की बात है
01:40कि सोरी सर्मा अपने क्वाटर पर था
01:43इंजिनियर श्यामलाजी आते हैं कि सोरी सर्मा के यहाँ
01:46इधर उधर निगाह दर लाकर देखते हैं
01:49उनको महसूस हुआ या भास हुआ
01:51कि सोरी के अलावा कोई दूसरा नहीं
01:54पूछते हैं इंजिनियर साहब क्यों भहिया कि सोरी
01:57आप अकेले रहते हो क्या सोरी कहा कि
02:01इंजिनियर साहब मैं तो सुरू से ही यहाँ केला रहता हूँ
02:05पुछलन इंजिनियर साहब त्वार दुलहिन, कलन के हमार दुलहिन दिहात पर रह ले, घरे रह ले, इंजिनियर साहब कलन की त्वार मैं कमाई तब दे कारवा, सुना, प्लत एक काम करा, कवन काम?
02:18कि के वन आई यार पे, सिंगार के लुछी रही, का वन आई यार पे
02:33कि नार के लुछी रही, के लुछी रही, के लुछी रही हो, का वन आई यार पे
02:53कि नाजने के तना, के पहार के लुछी रही हो, का वन आई यार पे
03:14इतरहल गीत के लुछी रही हो, लेकिन इंजिनियर साहब का ले ना की सोरी इस है, की सोरी भी आँ, हमार रहे मानता है
03:23एक काम करा, कि ले या वादू लही, अरे ले या वादू लही, शहर या घुमाईदा, ले या वादू लही
03:35अरे सब तम हो भी से, सब तम हो भी से, हमसे दरशन कराएदा, ले या वादू लही
03:54ये पांच रुबे का पुरस्कार है, शमा कैसेट विकारडिंग सेंटर, सिधारी चोग, आजमगर से, सोसवार नमस्कार पड़ाम हो, जनताज नारदू को उच्चानस परसू,
04:13अरे यार, कम से कम अपनी अउुरत के लियावा, सबिता भावी के लियावाई है, दूरोटी टाइम से तो ही मिल था करी, कि सोरी सरमा पर के उन्जिनियर साहब दुललइन के यसे ना लिया कि हमार दुलहिन
04:27इन पर है उह में दियाद करे होली गमार है शोहर में लगाई सर्माई तो दोस्त लोग ताना मरी हम अची रही हम यही से ना लियाई ला इंजिनियर साहब काते है कि रेहार शोहर और दियाद में कोई बिशेशंतर नहीं है एक काम करो अपनी पत्नी को लाओ यहां जब तुम्
04:57अपने क्वाटर में रख लिया दूसरे दिंगर साइड पर गया तो इंजिनियर साहब आपकी बात मान करके मैं पत्नी को सबिता को ला दिया यहां पर और इसी खुशी में आज ही साम को मेरी ओर से दावत है आप हमारे क्वाटर पर आ जाईएगा निमंतर पर बोला लेहां
05:27करना की दू� conduc?' दीध थाद करहें वाली घमार déjà कि दूशिक हो लेकिन कवनी स्थिती में लेक्वाया है
05:38शर्माति लाईई भूगट में चreekड़ा छीला। रह और आप पका कशहरमाति लाईएगा ध्यागञा चैहरा च्थाच में रहल
05:42शरमा तिलाई है भोजन की ठाली
05:47अप फुल साची हरवा लुभाए गया माली
06:08हर एक दिन हम से नजर या मिलाता है लेर आवा दुलमि
06:32आजadesादों नुख केसारी के नाम चल्बा कौन हो
06:36हावा हावाई
06:40यह छानाते कि जाहां वक्ला कई हहना मैं रू मोख के अपना हवा सी दिखार कैसं
06:45आप यह नहीं करीक्वार के कि दमने मंटनेल
06:50कुए महिन की सारी रहल हवा हवाई वाली काये का मतलब की घूगट का नामे भर रहल चेहरा घूगट में रहले के बावजूद भी बहरे से असपश्ट दिखाई पड़े
06:59जब इंजिनियर स� Rough का निगाप अधल सविता पर सुचे लए भाई हूए कि सुखर दो लहीन भाई ये तणी शूघर भाई गोर गोर अकर चेहरा भाई चमाटर नियर कर गाल भाई सुगा कर थोर नियर कर नाक भाई कल्पना करे लगलां कि सहरों में ऐसे संतर बीजले पर सा
07:29दिलों दिमाग में बैठ गय हमेसा उठत बैठत तहरत हमेसा याद करें हाए सबिता हाइ सबिता सोच गिलुन की कईसों सबिता के प्राप्थ करव एक दिन रहने गई
07:40एंजिनियर सहाब गिलन साइड पर जहां भेट हो गए किश्वरी सर्मा से तहस के कलगी किश्वरी भीया एठे हम बात कहल चाहते ही
07:48ठीके दार सहाब करना कमन बात एंजिनियर सहाब बतावलन आगी तुह बाज़ों विभा शाधी के उसर पर अपलो गावेलिन
07:56अब रात के अलब लाबलम जापनवा भैले ना मेर्दों
08:07अच्छा पराजिला में ही कितिया के कावजला कावजला कि ताली से जब ताली जड़ी
08:25अरे ताली से जब ताली जड़ी करहा जिया रंग जबायोगी
08:42लेकिन इंजिनियर सहाब कहने लगया कि किसी ओरी भीया सुनो मेरी बात
08:46मैं क्या कहना चाता हूँ, कहते हैं क्या, कि ठीका के बतिया सुनावे संघतिया, यही विचार मन आयोगी
08:58तब ठीका के बतिया सुनावे संघतिया, यही विचार मन आयोगी
09:16अब यही विचार मन आयोगी
09:28पाच लाख रुपया सहजय में मिली है, नारी तु हर मन भायोगी
09:38अब यही विचार मन आयोगी
09:48पाच लाख भडिवाद इसनावे संघतिया, फिलाल हमेरे पास दस लाख रुपया के ठीका बाँ
09:53अज सोचत हैं कि यह ठीका हम तो ही कि दे दें
09:56कि सोरी करन की इंजिनियर साब आज तक जतना भी ठीका मिलल हमें
10:01आपके ही माध्यम से मिलल
10:02अब कर वो सोचे वाली बात अपना कहले हरला
10:05दस लाक ठीका बत तो सोचे वाली बात कहां से आ गई
10:08करन की हाँ
10:09सोचे वाली बात यसे कह ठीला कि
10:11दस लाक ठीका दे दे
10:12हमरे विचार से काम करी वहते हैं, पांच लाख रुपईया में सारा काम निपड़ जाई, पांच लाख रुपईया तो हैं शुद्ध बच जाई, लेकिन इठीका प्राप्त कैला से पहले एक काम तो हैं करे को हुई, खाली एक रात खातिर के, कहा के पठाए गिलन, चुपए
10:42खाली एक रात खातिर के अपनी दुलहिं सविता के हमरे लगे भेज देता, तहीं दस लाख वाला ठीका हम तो के दे देती, पहले तो बड़ा लाल फियर भईलन है ठीकेदार साहब इंजिनियर साहब पर, लेकिन जब पांच लाख पांच लाख दूतिन दाई फेट देलन,
11:12जब भारंच लेकिन दुलहिं के जवांघिकाद थार ठीक कोल लाख दिड़न के अपनी दुलहिं स्यवगे अच्ताघ कंदू लेकाद कि मुख दूते दुलहिं के अट इसमा पूणुन को जाए एपियार अजिनियर साहब पीदिन दुलहिं के दुलहिं के जवानी का सुख
11:42लेकिन दुले हिंसे कहले ने का कि गदरानी अर गदराई रे
11:49हे हे गोरी इजान तो हर जवानी वाना मारी के तारीफ करे में कहले ने का
11:56कि गदरानी अर गदराई रे गोरी तो हरी जवनिया
12:03कहें पत जड़ के लेखा बनी पत जड़ जवनिया
12:21आमान कहनवा बदल जाई दुनिया
12:26तो साहब से प्रितल लगाई रे आरे साहब से प्रितल लगाई रे ऐ गोरी तुहरी जवनिया
12:50जिन्दगी भर चैन का बंसी बजावल जाई आही जवानी हमेशा रहे वाली चीज़ ना हा
12:55जवानी में रंग रहला तो कुछ कहले वकें
12:59एक रात का मामला बाइंजिनियर साहब कर लगे तो है जाएक हुई
13:02यह बात जब सुनती है सविता तो आवाक रह जाती है
13:06दिहात की रहने वाली अश्चिक्छिता यह उरत
13:09अपने पती का पाउँ पकड़ लेती है
13:11कहती है पती देव यहीं शाहर है
13:15इसी साहर को घुमाने के लिए लाएं हैं आप
13:18और कहते हैं एक रात इंजिनियर साहब के पास मुझ को जाना है
13:22तो सुनिए बड़ी मारमिक बात अपने पती को समझाती हुई कहती है
13:26देखाए हुगमार देहात का अपने पढली खल दुल्हा के समझात बागा
13:32अक कहलस का केतनी ऊची बात कहत बागा
13:35ये रोता है सिंदुरे अब रोता है सिंदुरे ये हसता जमाना
13:44तो पसा बरा है ये इजद बरी है रोता है सिंदुरे
14:04अजसार्य माना दोतार चिनी
14:08अजसार्य माना बड़े का पड़ा हुआ जी दोतार चिनी
14:23आउर एहू से बढ़िया बात कहलस
14:26इब अप्तिडेव एधरती पर तुई इज़त के बड़ मानत हुआ कि पैसा के बड़ मानत हुआ
14:31पांच लाख नहीं पांच करोड पांच अरब पांच खरब
14:57समझ लें कि इस धरातल पर जितनी भी गिंती है उतने के बराबर धन एक तरफ रख दीजिए एक तरफ आबरू को रख करके आप तुलना केजिए तब भी आबरू के आगे ये सारे के सारे धन बेकार हो जाएंगे
15:11सारा धन मिट्टी की तरह कहती है कि या बरू के आगे
15:17ये राख है खजाना तो पैसा बढ़ा है ये खुदरत बढ़ी है
15:28या बरू के आगे आख है खजाना आगे
15:35दिन भूल गए क्या पत देव कौन सा दिन या दिलाती है
15:39क्या रू?
15:41ये ये गिनी को साची अरे ये गिनी को साची दे सिंदुर पिनाए
15:48ये बिदे मंत्र सुने के तु या बनाओ बनाए
15:59तो कोठे की मलिका हमे ना बनाना बनाना
16:06पति देव पत्नी कभी बिश्या नहीं बन सकती है
16:10और बिश्या कभी पत्नी का अस्थान नहीं ले सकती है
16:15देखें आउरत के दो रूप यहां प्रस्तुत किये गए हैं
16:19एक पत्नी दूसरी है बिश्या कहती है कि साचरित्र पत्नी कभी बिश्याले का मुह नहीं देखना चाहेगी
16:30और बिश्याले से लाई गई बिश्या पत्नी के रूप में ज़दी आप घर में भी रख देते हैं
16:35तब भी अच्छी ग्रिहनी की भूमिका वह नहीं निभा पाएगी
16:38केहती है कि आब रूप के यारे अरे कोठे की मालिका
16:45हमेना बनाना बनाना जो दामन बाया है
16:50यह सरत बड़ी है यह फेशिमलीका हमेना बनाना बनाना जो दामन जो दाया है
17:06अधरत बड़ी है ओजिमलीका
17:10यह आदरनी आप माला कारण के अरे पगली बड़ा नाराज होगी लूँ तू
17:16हम तो ही थोड़े न कहते लिए सचो के कि तू जईभू इंजिनियर साहब के लगे
17:21हम तो तो हार परिख्शा लेतर ली है
17:23आज मारिस के अचाहतर ली है
17:25कि एतना दिन होएगे इस शहर में रहत
17:27कहीं तो हार नियत बदलत ना लगिल बाम
17:30कलस के चाहतर परिख्शा ले ले ला ना
17:33जिन्दगी में कब वो अपने मूँ से अईसन बात मत निकली हा
17:36कान की कब वो अईसन बात ना कब
17:38लेकिन एक काम करे के होई
17:40देखाओ पांच लाख रुपया हमें भूलत नाबा
17:43हैरे नीच पांच लाख रुपय के लिए
18:00आज शाम को इंजिनियर साहब आएंगे
18:02ये लेलो शराब वाली बोतल लेलो
18:05जब मैं बुलाओंगा इंजिनियर साहब के आजाने पर
18:09दो गिलासे रहेंगी हम लोगों के बीच में
18:14थोड़ी थोड़ी शराब हम लोगों की गिलास में डाल देना
18:17अपने हाथ से उठा करके शराब की गलाश दे देना
18:20बस उनकी यहीं क्या है
18:22कहती है कि समझ गई पति देव
18:24समझ गई कि आप कितना गरत में गिर चुके हैं
18:28कौन ऐसा इंसान होगा
18:30कौन ऐसा पती होगा
18:32जो गैर पुरुष के साथ वैट करके शराब पिएगा
18:35अपनी पत्नी को शराब पिलाने के लिए कहेगा
18:38लेकिन ठीक है
18:39जब आपका यहीं विचार है तो मैं शराब पिलाओंगी
18:42लेकिन आगे क्या होगा
18:44फिर इसका दोस मुझको मत देजिएगा
18:46सविताब सुनो इधर
18:48आ गई उठकर के सविताब साब ने
18:50कहती है क्या कहना चाहते हैं आप
18:52क्यों बुला रहे हैं आप
18:54कहा कि थोड़ी थोड़ी शराब पिला दो हम लोगों को
18:57बैठ गई
18:58शराब की बूतल जो है खोल करके
19:00दोनों गलास शराब से भर देती है
19:03दोनों को दे देती है
19:04दोनों पीना सुरू कर देते हैं
19:07कुछ देर के बाद जब नशे में बूत हो गए ठीकेदार और इंजिनियर अचानक अगली योजना के अनुसार आगे की कारवाई बढ़ा दिया इंजिनियर कलाई घरी को देखते हुए कहां कि कि कि सोरी भीयां समय बड़ा करीबा बड़ा कम बा समय भोजन मनावा भोजन के �
19:37कि सोरी सर्माम अपनी दुलेहिं सबिता के करना कि जाओ खाना लाओ सबिता गई घर के अंदर खाना लाने के लिए लेकिन यहर दूनों जने इंजिनियर और ठीकेदार आपस में खुसर खुसर खुसर खुसर बतियावे लगलन आये हर और का ध्यान अगल बगल का नाबा ओ
20:07धर्म के मतारी रुपी मलकिन के इज़त के सोधा के देहलन तो अब हमें कुछ करे के खाना आया भोजन करने के बाग जब दोनों चलने लगे सिनेमा देखने के लिए ठीकेदार अपनी पत्नी सबिता से का कि तुम भी तयार हो जाओ तुमको भी चलना है साथ में सिनेमा दे
20:37में बैठ गई तब इंजिनियर से कहा ठीकेदार की इंजिनियर साहब सविता को लेकर के चलिए सिनेमा हाल तक मैं अपनी मोटर साइकल से आ रहा हूं वहीं पर मुलाकात होगी लोट गया घर के अंदर शराब की नसामे बूत इंजिनियर साहब गारी स्टार्ट किये लेकर क
21:07अब मैं कर इज़तिया आज जाए दुनिया में
21:18नव कर हूं लेकिन पाया बेते का दुनार
21:38गाड के दिगिया में जाके बबुआ छिपियो गईने
21:49रखी है इज़तिया हो मदना मुराला
22:00हम बेज़र कार के पिछवाली दिगी में जाके रामु चुप चाप छुप के बैठी लन
22:06लेकिन सिनेमा हाल पर इंजिनियर साथ सविता के लेके ना गई लन
22:10कहा लेके गई लन
22:36अधर तो रामु यह बात सोचता है मगर उधर शहर से बाहर सुनसान जगह पर ले गया इंजिनियर अधेरी रात थी और लेगाकर के कांत में गारी रोक दिया
22:53कलाई पकर लिया सुनता की खीच करके गारी से बाहर कर लिया और गारी से जब बाहर कर लिया तो हुआ क्या
23:00भगवान कसम आपके घर भी तो कोई बेटी बहन होगी मेरी तरह
23:23मेरी जत्स मत खेलिए मत छेडिये मुझको लेकिन हैरे नीच वह कामांध दावलत मंद इंजिनियर पटक दिया धरातल पर सबिता को
23:33और जब सबिता को धरातल पर पटक दिया तो हुआ क्या
23:37कि रहारी गई सबिता अब गिरी गई लिधरती पे तो बच्चाओ बच्चाओ तब कैली पुखार ये
23:48आवाज देती है सबिता गिर करके धरती पर बच्चाओ तार के पीछे वाली डिगी में छुप करके बैठा है
24:14पंद्रह सूरह साल का नवकर रामू निकल पड़ा छलांग लगा करके पहुचा इंजिनियर के पास और किया क्या
24:23कि अरे उच्छल पड़ा अब उच्छल पड़ा करसे प्यज़ई से काधा उच्छल पड़ा
24:44तो चाकु लेकर रामू दाला अरे चाकु लेकर रामू दाला अब केकर चला है बाधा उचल पड़ा
25:01रुक जाओ आवाज दिया ठिचक गया इंजिनियर जटका दिया लड़ खड़ा करके गिर गया इंजिनियर धरातल पर शराब के नसे में था
25:28पड़क के छटिया पर बैठील राम हूँ निकाल के राम पूरी चाकु उच्छाती में सटादिलस कलस के रे
25:34पैसे के बल पर मेरी धर्म की मा की इज़त का सौधा किया था न तो ले मैं वो किमत चुकाने के लिए आ गया हूँ
25:42इतना कह करके करता है क्या कि नीच्य कमी ने शर्मन आई और जननी की छोटी कीमत लगाई
25:52तो त्यार किमत आजा चुका दू तेरी किमत आजा चुका दू अब सीन में चाकु ताथा उचलबा
26:10चाकु सीने में घुसेर दिया वही पर दम तोर दिया इंजिनियर
26:32और इसके बाद कहा कि अरे माम चलो यहां से हम लो भग चलें
26:38वापस क्वाटर पर जाने पर जो है वह दौलत का लो भी
26:41मालिक जो है पुना कोई जाल साजी कर सकता है चाल बाजी कर सकता है
26:46मा करती है बेटा चलो दोनों भगने लगे मगर भगने से पहले
26:50अमबेज़र कार के पास गया रामू देखता है अचानक जब उसके अंदर निगाह फेरा
26:56देखता है कि इंजिनियर साब की एक अटेची पड़ी हुई है
27:00खोल करके देखा रुपियों से भरी है टेची लेकर के वहीं से दोनों फरार हुए
27:04गए कहां पूना में मा बेटा पूना में रहते शर्मा हुआ लचार
27:11पड़ी डकेती बना भिखारी एक दिन हुआ दिदार
27:22बाबुजी दोनों पूना में रहने लगे धर्म के मा और पुत्र इधर जो है अस्थानी ठीकेदार जो प्रगती देख करके कि शोरी की जल्ड़ते थे इसे
27:33प्लान बना कर योजना बना करके और डकेती डलवा दिये बचा हुआ धन भी लूट लिया गया
27:39दर दर की ठोकरे खाने लगा कि शोरी सरमा अचानक एक दिन भीख मांगता हुआ पूना में दर वदर भीख मांगता हुआ पूचा उसी दर पर जिस घर के अंदर धर्म के मा और पुत्र दोनों रहते थे
27:54सबिता और रामू जो ही हाथ फैलाया भीख मांगने के लिए रामू की निगाह पड़ गई ठीके दार पर पहचान गया दोड़ करके घर के अंदर गया का कि मा वह सवदागर फिर यहाँ आ गया मा कहती है कौन सा सवदागर तब बताता है
28:24तर लिया ठाका या मुकरा तो बदला लूंगा कमीने से अब कर दू टुकराज मुकरा
28:40बाबु जी लिया रामपूरी चाकू कहा कि मा जैसे मैं इंजिनियर की जान लिया हूँ वैसे इस लोभी को इस सवदागर को भी मार करके यही खतम कर दूँगा
28:54दूड करके मा कलाई पकड़ लेती है रामू की दर्वाजे पर आती है तो देखती है अपने स्वामी को अपने पती को
29:00रोने लगती है रो करके धर्म के पुत्र से रामू से कहती है क्या
29:24आगे की सुधिले हूँ जो हो ना थास हो गया बेटा पर ये मेरे सुहाग है मेरे सिंदूर है जब इनको मिटा दोगे मेरी मांग धुल जाएगी बेटा मुझे बिधवा की जिन्दगी बितानी पड़ेगी पड़ेगी रामू से रामू
29:54सामने खड़ाय दिखारी के रूप में ठीकेदार किशोरी सर्मा यह बात सुनकर के गवर से देखता है पहचान गया रामू को अपनी पत्नी को ड़ड़ करके सबिता का पाव पकड़ लिया रोने लगा मुझे माफ कर दे सबिता मैं अंधेरी में भटक गया था मगर बारे �
30:24के अंदर मगर हुआ क्या
30:54जह जखाये गुर्जदू लोटन लालता स्वर्ग में रोले
30:59शुदियाल सुबचंचंचंडिका अव मितवा जय जय हो रहा तो पचानन ही राख वोई जो हरी
31:13लिखे स्रीमराय पर सुरम संगवी पचानन ही राख वोई जो हरी

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