Caste Census 2025 : लंबे समय से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और विपक्ष जातिगत जनगणना (Caste Census) की मांग को लेकर बीजेपी (BJP on Caste Census) पर हमलावर थे, लेकिन अब एनडीए सरकार (NDA Government) ने राहुल गांधी के इस मुद्दे की हवा निकाल दी है...और जातिगत जनगणना कराने की बात कही है...जिसका तमाम दलों ने स्वागत किया है...लेकिन अचानक क्यों बदला बीजेपी का मन, और इस कदम से बीजेपी (BJP ) को कितना फायदा होगा और बाकी पार्टियों को कितन नुकसान होगा...इसी मुद्दे पर बात करने के लिए हमारे साथ स्टूडियों में मौजूद है देश के सबसे बड़े चुनाव विश्लेषक संजय कुमार (Sanjay Kumar ), जो सीएसडीएस (CSDS ) के निर्देशक है...और उन्हों ने वन इंडिया के पॉडकास्ट में इस मुद्दे पर खुलकर बात की
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~HT.410~PR.338~ED.104~GR.124~
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00:00जिसकी जितनी संख्या बारी उतनी उसकी हिस्सेदारी
00:03पुरे देश को इस बात का इंतजार है
00:05जिस बात की बहुत चर्चा और कंटेस्टेशन है
00:07कि बाई OBC की संख्या है कितनी
00:09आपने दलितों और आदिवासियों को तो उनके
00:12सब पूरा हो गया उसके बाद अपर कास्ट के लोगों ने कहा हमारी जातियों का क्या हुआ हमारी गिंती किती यह तो बता ही है जब दिल्ली आयते ग्रेजुशन में पढ़ने के लिए किसी गाड़ी के पीछे में कार के गाड़ी के पीछे में एक जाती सुचक चिन्न नहीं �
00:42लिखा होगा दूसरे गाड़ी के सीशे के पीछे में को एक दूसरा चिन्न लिखा होगा जाट, जाटव, गलित, ब्रामन, राजटूल, तो यह क्या बताते हैं यही बताते हैं कि जातियों की जो आइडेंटिटी है और स्ट्रॉंग हुई है
00:57मुस्लिम समुझाए कि जो जाती के जन्गन्ना को लेकर क्योंकि उनमें भी अलग-अलग सेक्ट्स हैं तो यह उस मामले में यह कैसे इंप्लिमेंट होगा, कैसे होगा नॉर्मल तरीके से
01:07आपने धर्म कूछा, धर्म में अगर मुस्लिम हो तो आप उनकी जाती भी पूछ लेंगे, उनकी जाती हो कि जन्गन्ना हो जाएगी, धर्म के पिछ पर बीजेपी को हरा पाना मुश्किल है
01:16याद कीजिए एक समय में ऐस्टेलिया में बड़े फास्ट पिछेज होते थे और इंडिया के पास फास्ट बॉलर नहीं होते थे
01:21तो वहाँ फास्ट बॉलर लेके जाएंगे कि हम ऐस्टेलिया के पिछ पे जा रहे हैं खिलने उनको कभी हरा नी सकते
01:26इस मुद्दे को पाटियां भुनाने की कोशिच करेगी आखड़े तो नहीं आएंगे तब तक
01:31लेकिन ये जरूर है कि कॉंग्रेस, आरजडी और उनके सयोगी इस बात को लेके प्रचार करेंगे
01:37कि हमारे दवाब में आके बीजिती ने ये काम किया है
01:39संजे सर, you are most welcome on the One India Show, podcast, हाला कि अब तो podcast के आफ वीडियो फॉर्माट में भी जाता है
01:45सर, आज आप स्टूडियो में हमारे साथ हैं और हम आज ये सोच रहे हैं कि बहुत सारे doubts जोगों के मन में हैं
01:50जाती का जनगंडना से लेकर इससे क्या बदलने वाला है, क्या होने वाला है, इन सब बातों पर बात होगी
01:55हाला कि संजे जी, टीवी के लिए कोई नया चेहरा नहीं है, आपने उनको तमाम चुनावी कारिक्रमों से लेकर, पोलिटिकल अनलिस्ट के रोल में
02:03हाला कि CSDS के अधियक्षितर है, डिरेक्टर है, और मशूर सेफलोजिस्ट हैं देश के, जिनकी राय, जिनकी लेक, अख़बारों में भी आप अकसर पढ़ते हैं, मैगजीन में चपते हैं
02:13Sir, आप सर्प्राइज हुए जब कर अचानक से डिसीजन आया, वर यू शॉक्ट?
02:17शॉक्ट का मतलब, हाँ, किसी को उंबीद नहीं थी कि इस वक्त अचानक ये कैसे अनॉंस्मेंट हो गए, उस हिसाब से शॉक्ट थे, शॉक्ट तो गलत शॉक्ट शॉक्ट थे, अचानक ये क्या चीज आ गई, जिसकी चर्चाय हो रहे थी, और सर्प्राइज इसी के लिए
02:47तो थोड़ा सर्प्राइज तो हुआ, अगर आप नहीं करते, तो आप लगातार विपक्ष के हाँ पे खातियार देते, और विपक्ष आप पर हमला करते रहता, आप भले ही सरकार कितना भी आंकडा पेश करते रहते हैं, हमारे इतने MP OBC समुदाय से हैं, प्रदान मुन्तर
03:17लेकिन जनता में एक संदेश जाता कि सारी विपक्षी पार्टियां यह कह रही हैं कि OBC की गिंती होनी चाहिए, लेकिन आप नहीं करा रहे हैं, तो कोई नहीं कोई तो कारण होगा, इससे बचने के लिए BGP कोई रास्ता ढूंडना था, और अगर BGP बड़े सहज रूप
03:47कि BGP पार्टी जो है, BGP पार्टी जिसकी सरकार है, वो OBC विरोधी नहीं है, और इसी के लिए मुझे लगता उन्होंने फाइनली एक डिसीजन लिया.
03:55हम इनफेक्ट अभी देख रहे थे कि कैसे राहूल गांदी स्पेसिफिकली जाती से जुड़े मसले को हर प्रेस कॉंफरेंस में, इनफेक्ट वो तो मीडिया करमी जैसे प्रेस कॉंफरेंस में आते थे, उनको पूछते थे, आप में से बताइए कितने इस जाती से संबंद
04:25मुझे लगता था, यह सब रिसर्च का मुद्दा है, मुझे नहीं कहता कि यह सवाल उठाए नहीं जाने चाहिए, कि भई, रिप्रेजेंटेशन क्या है, लेकिन यह रिसर्च का मुद्दा इसमें काइदे से आंक्डे आने चाहिए, न कि सड़क चलते लोगों से पूछें, �
04:55आने चाहिए, जातियों के बारे में पता चलना चाहिए, कि अलग-अलग जाती के लोग, अलग-अलग जभों पर उनकी हिस्सेदारी कितनी है, लेकिन शायद जिस तरह से कॉंग्रेस पर्टी ने रुख अपनाया, या नेता राहूल गांधी ने जिस तरह से रुख अपना
05:25अगर यह लगा कि OBC हमसे चिटक गए है यह वोट बैंक हमसे चिटक गया है तो उनको अब वापिस ओन बोड लाने के लिए अब इस स्टाइल की पॉलिटिक्स हमें करनी है क्योंकि बड़ा कैल्कुलेटिव मूव कम से कम कॉंग्रिस और विपक्ष की तरफ से इंडिया अला�
05:55विचार किया और यह हमने इसकी पहल हमने की है कॉंग्रिस को बार-बार वो अटैक करते कि आपकी सरकार तो कलगभग साथ साल रही देश में और आपने कभी इसके बारे में पहल नहीं की बलकि मंडियल कमिशन की रिपोर्ट आई तो उसको आपने ठंडे बस्ते में डाल द
06:25पर तो उसका कॉंग्रेस और तमाम विपक्षी पार्टियों को फायदा हुआ खासकर समाजवादी पार्टी को अगर हम 2024 के चुनाओं के नतीजों के संदर्व में बात करें तो लेकिन इसके बाब जूद BJP को लगता था कि यह कराने की जरूरत है और मुझे लगता है उन्
06:55लेकिन क्या यह भारतिय राजनिती का टर्निंग पॉइंट है सर बीजेपी को इसी बात का डर था मुझे लगता है साल डेर साल पहले तक उन्हें लगता था कि अगर जातिगत जन्गर्णा होगी तो शायद वेपक्षी पार्टियों को और खासकर रीजिनल पार्टी और क�
07:25उनके पक्ष में ना चला जाए लेकिन मुझे नहीं लगता कि कोई बड़ा परिवर्तन होने वाला है अलड़ी अगर अलग अलग जातियों को देखे तो उनकी गोलबंदी अलग अलग अलग पार्टियों के पक्ष में है और इसका सबसे बड़ा फायदा आज बीजेपी को
07:55और पर मैं अगर आरजेडी की बात करूं तो आरजेडी को 90 के दशक में जितना ओबीसी का वोट एक मुष्ट मिलता था आज उतना नहीं मिलता है बीजेपी ने उसमें सेंदमारी की है उनको यादवों का वोट ज्यादा मिलता है लेकिन गैर यादव ओबीसी वोट जो है �
08:25तो बीजेपी ने कहीं सेंदमारी की है और इसी के लिए कोई बड़ा उथल पुथल नहीं होगा ऐसा होने वाला नहीं है कि ऐसी समुदा ऐसे जातियां जो पहले बीजेपी को वोट नहीं करती थी वो अचानक वोट करने लगेंगी क्योंकि पिछले 5-10 साल में उनका वोट
08:55उसके बाद भी वो सरकार किस हद तक डेटा क्या सारवजनी करेगी कैसे वो संसद में रखा जाता है या वो किस तरह से आगे प्रेजेंट किया जाएगा वो भी आने वाला समय बताएगा वी करते कराते दोजार उन्तीस तक का समय तो सर आ जाएगा इलेक्शन टाइम बिलक
09:25कोई सवाल कैसे पूछा जाता है जातिये समूह के वारे में सवाल होता है और अगर कोई वेक्ति यह कहता है कि वह उची जाती या OBC से है तो उससे कोई फॉलो अप सवाल नहीं होता है लेकिन कोई कहता है मैं दलित हूं या आदिवासी ST हूं तो एक फॉलो अप सवाल होता
09:55और जो socio-economic background की बात हो रही है।
09:59सिंसस आमूमन इस तरह के आंकड़ों के को इकठा करता है।
10:04तो जब दोनों आंकड़े आप इकठा कर लेगे।
10:07कि OBC समुदाय के अलग-अलग जातियों की संख्या कितनी है।
10:11और उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति क्या है।
10:14इसके अधार पर आप ये विशलेशन कर पाएंगे।
10:17आपका मतलब सरकार कर पाएंगे।
10:19कि अलग-अलग OBC समुदाय के जो जातियों के जो लोग हैं।
10:24उनकी सेक्षिनिक आर्थिक स्थितिक्या है।
10:26इसके पहले तो कोई उमीद नहीं कि कोई आंक्रे हमारे सामने आईगे।
10:35अपका तो ये एक्सपर्टीज का फील्ड अगर थोड़ा हमारे दरशकों को एक्सप्लेइन कर सकें कि कैसे ये प्रोसेस होता है।
10:40इस वरी बिग एंड यूज प्रोसेस।
10:43अगर थोड़ा बहुत पॉइंटर्ज में आप ये प्रक्रिया समझा सकें तो।
10:46तो ये सेंसस और सर्वे में बहुत सिधा सिधा अंतर है।
10:51जब हम सेंसस की बात करते हैं।
10:54उसमें अपेक्षा ये कि आप हर घर में जाएंगे हर व्यक्ति से आंकडे कठा किये जाएंगे।
11:01सर्वे में एक सैंपल लिया जाता है आमोमन कुछ लोगों के साथ बात करके उनके आंकडे कठा करके हम एक्स्ट्रापोलेट करते हैं।
11:09तो प्रोसेश बहुत लंबा है। सरकार पहले अधिसुचना जारी करती है कि सैंसस की प्रक्रिया चालू हो गई।
11:15एक क्वेश्चनायर बनता है। तमाम लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है।
11:19और यह लोग होते कौन हैं। बड़ी संख्या में लोगों को घर गर जाके आंकडे कठा करने पड़ते हैं।
11:24हमारे घर आपके घर भी लोग आएंगे। यह लोग कौन होते हैं।
11:27आमुमन सरकारी शिक्षक होते हैं।
11:29जो दो महिने, तीन महिने की ड्यूटी करके हमारे और आपके घर में आकडे इकठा करेंगे।
11:35आमुमन जो गर्मी की छुटिया होते हैं।
11:39उस वक्त तो बड़ी संख्या में टीचरों को भेजा जाता है आकडे इकठा करने के लिए।
11:47तो तमाम लंबा प्रोसेस है, step by step धीरे धीरे आकडे इकठा होते हैं।
11:52जब आकडे इकठा हो जाते हैं, तो उसके आकडों के प्रोसेसी में समय बहुत लगता है।
11:57तो चुकिए कुरियोस्टी होती है कि क्या अकडे आये, तो पहले एक प्रोविजनल डेटा रिलीज किया जाता है।
12:04और बाद में फिर कहते हैं कि इसके फाइनल डेटा रिलीज हुआ।
12:07और बाद में जो तमाम विशलेशन हैं डिस्टिक वाइज, ब्लॉक वाइज, अलग जाती, अलग अलग समुदाय के लोग उसके जो टेबल से जो कहते हैं रिलीजिन टेबल और वो धीरे धीरे धीरे रिलीज की जाती है।
12:21जाते हैं।
12:33और उसके बाद हर व्यक्ति के बारे में कितने पढ़े लिके हैं, कितनी उम्र हैं, ये तमाम सवाल उनके बारे में पुछे जाते हैं, डॉक्मेंट नहीं चेक किया है।
13:03आपके अगर दफ्तर में जहां आप काम करते हैं, और वहां वो कहा जाए कि कितने लोग काम करते हैं, और गिंती हो रही है और आपकी गिंती ना हो, तो आपको बहुत एक अजीब सा हैसास होगा।
13:33इसको छुपाता नहीं है, क्योंकि इसमें कोई income tax, tax का कोई मामला नहीं है। तो ऐसी basic details ली जाती है, तो आकडों पर शक या आकडों पर question mark लगाने का तो कोई प्रशन उठता ही नहीं है।
13:45So, as in expert of numbers, data, देश के socio-political, economic परिस्थितियों को आप पढ़ते हैं, समझते हैं, आपकी team भी इस सरे के data collect करने में माहीर है।
13:55आप किस चीज का वेट सबसे आदा कर रहे हैं, इस data से आपकी keen eye किस चीज पर होगी।
14:01पर होगी।
14:31जो आखलन था उससे कही कुछ जादा दिखाई पड़ा।
14:33तो मुझे लग रहा है पूरे देश को, मुझे भी और पूरे देश को इस बात की का इंतजार रहेगा कि वो आखड़ा है क्या कितना percent population देश का OBCC समुदाई से हैं।
14:44सर आपको लगता है कि जो नंबर या जो जानकारी इसके बात सामने आएगी।
14:48वो भारतिय समाज को किस तरह से प्रभावीत करेगी या राजनितिक फैसले।
14:52इन फैक चली मैं आरक्षन का ही जिक्रगर कर दूँ तो क्या संभावित बदलाव आप आगे देख रहे हैं।
14:58वाट इस बदलाव तो होंगे क्योंकि आरक्षन के अगर प्रावधान को देखें तो दलितों के लिए 15% का आरक्षन है।
15:08और किस आधार पर है क्योंकि सेंसस के आकड़े के हिसाब से दलितों के आबादी देश की आबादी में 15% है।
15:28के लिए 25% आरक्षन का प्रावधान रखा गया है। जब संख्या जब गिंती होगी और यह पता चलेगा कि इनकी संख्या जी 48% है या 50 है या 45 है।
15:39इस बात की एक तरह से डिमांड होगी कि आपने दलितों और आदिवासियों को तो उनके पॉपुलेशन के आधार पर आरक्षन दिया है तो यह OBC के साथ भेदभाव क्यों हो रहा है।
15:51अगर उनकी संख्या 45% है तो 45% आरक्षन होना चाहिए। अगर उनकी संख्या 30% है तो 30% आरक्षन का प्रावधान होना चाहिए।
16:01और अगर यह 50 के पार है तो जितनी उनकी जिसका जिक्र बार बार होता है जिसकी जितनी संख्या बारी उतनी उसकी हिस्सेदारी।
16:09यहां मैं पॉलिटिकल हिस्सेदारी की नहीं बात कर रहा, लेकिन आरक्षन के प्रावधान अगर दूसरे समुदाई के लोगों के लिए उनकी संख्या के आधार पर है, तो OBC के समुदाई के लोगों के बीच में भी यही डिमांड होगा, और मुझे लगता बहुत कंटेस्�
16:39पॉसिटिव होने की पूरी-पूरी बुंजाईश है.
17:09अगररो समुदाई के लाद करे करनी है।
17:38अगर आपके परिवार की आये एक नियूनतम आइसे उपर है तो आप आरक्षन के � nedहीं एक अंतर अभी वी दोनो के आरक्षन के प्राच्छन
17:54और इस आपकी नजर में आपकी नजर में?
17:58Are they sufficient?
17:59Sufficient का मतलब काफी हैं, जो ये क्रीमी लेयर का और इन सब चीज़ों का.
18:06बदलते होए समाज में, आज की जरूदतों के हिसाब से सिनालियों में.
18:09Creamy लेयर की बी जो परिभाशा है, वो बदलते रहती है.
18:12लेकिन मुझे लगता है कि परिभाशाएं उसमें तमाम क्राइटेरिया हैं और इसकी गुंजाइश बहुत है कि कुछ लोग OBC होकर के वो जो एक सर्टिफिकेट की जरूत होती है तो उसमें जो कहते हैं फजिंग सर्टिफिकेट की फजिंग और वो सब की गुंजाइश रहत
18:42तीसरे जनरेशन को ना मिले या कोई भी कट पॉइंट चर्चाएं थोड़ी बहुत होते रहती हैं बट ये दिफिकेट दिखाई देता है मुझे नहीं लगता कि पहला तो जो सेंसस होने वाला है इसमें इससे रिलेटेट कोई भी ऐसी चीज होने वाली नहीं है यह अगर स
19:12को भी एक प्लाटफॉर्म माना जाए उस पर भी दिखाई देता है और आए दिन कुछ ना कुछ जाती रिलेटेड पॉलिटिक्स से लेकर लोगों के अपने टसल्स और टकरा वहां दिखाई देते हैं धर्म की राजनीती है और राजनीती का अपना धर्म है उस अंदाज मे
19:42सालों में आपको उसके मारकर बता रहा हूं और बहुत मारकर जो हमारे आखों के सामने हम और आप सब देख सकते हैं जब दिल्ली आयते ग्रेजुएशन में पढ़ने के लिए ये अरली एटीज की बात है पचासी सतासी की बात है किसी गाड़ी के पीछे में कार के गार के �
20:12जाट, जाटव, दलित, ब्राह्मन, राज्चूल, तुमाम जातियों की जातियों की जो आइडेंटिटी है और स्ट्रॉंग हुई हर व्यक्ति ये बताने की कोशिश कर रहा है कि मैं एक जाति से हूं और इसकी वज़ा शायद ये है कि अगर आप आज से 20 साल पहले देखें
20:42चैलेंज नहीं हो रहा था तो वो अपनी इडेंटिटी को एंजोई कर रहे थे और ये आप कहें कि जो लोर कास्ट जो डाउं टोडन थे वो काफी सहमे वे से आप ये कह सकते हूं और लेकिन जैसे ही पोस्ट मंडल जब ये आइडेंटिटी का सवाल आया और जब इन्हें �
21:12आप देखें तमाम गाड़ियों के पिछे आपको इडेंटिटी दिखाई पड़ेगी और भी बहुत सारे उदारन है जब हम दिल्ली आये थे उस वक्त तो मुझे नहीं लगता कि कभी किसी ने मेरी जाती के बारे में पूछा और खासकर मेरा जब सरनेम है कुमार संजे कु
21:42इस अब कुरियोस्टी मेने पिछले 10 साल में चादा बढ़ते वे देखा है किस बात का सूचक है अइडन्टिटीज का लोग जानना चाहते है आपके अपकी किया है क्योंकि सब आइडन्टिटीज को एक हान्चे में कहांचे में देख लेकिन इसका को क्या है सर क्यों जानन
22:12अगर अपने और पराय की पहचान भी इसमें अपने और पराय की बात आती है तो फिर उसमें धर्म का भी एक पुट आता है और इसलिए मैं इस पॉइंट को भी लेकर आई थी
22:34मुसलिम समुधाएन की जो जाती के जन घ perna को विहने विह अलाग इसक्त आत चैक्ट है तो यह कैसे हो
22:44कैसे होगा नॉर्मल तरीके से या उसमें क्या होता है मैं ज़िसे पारे पास है नहीं हमारे पास पर उसमें भी जातियों और उनके समाज में?
22:55आप पूछने में कोई हर्ज नहीं, आप पूछ सकते हैं क्योंकि इसमें कोई लंबे चोड़े, कोई फॉर्म की जरूरत नहीं है. आपने धर्म पूछा, अगर अगर मुस्लिम है तो आप उनकी जाती भी पूछ लिए, उनकी जातियों की जन गंडना हो जाएगी.
23:06सवाल यह कि सरकार क्या करना चाहती है, क्या नहीं करना चाहती है और किस तरह इस तारह के डिसाइन फॉमेट का जिसकी चर्चा का बार बार हो हुप जो पहतर है, विहार का पूछा गा जिस तरह से पूछा गया, वह बहतर नहीं है, म Jawel, पार्टियों को एक साथ मिल करकर बै�
23:36समुधाई के लोगों की जाती क्यों, क्यों ना हर व्यक्ति की जाती की गिंती हो जाए, सिधा सिधा पूछ लिया जाए, आपकी जाती क्या है, तो ये भी पता चल जाएगा, ब्राह्मिन कितने, राजपुत कितने, कायस्त कितने, और जो तमाम जाती हो के लोगों की गिंती हो
24:06अगर पूछा जाएगा तो पता चलेगा अगर पूछा जाएगा तो पता चलेगा अगर आपने मेरे से एज पूछी तो मेरे डेट बर्थडे नहीं पता चलेगा लेकिन आपने पूछा आप अपना डेट बर्थ बता हिए तो मैं बताओंगा कि मैं इतने जन्वरी इतने सन �
24:36या देश में रहने वाले हर व्यकती की जाति का पता चलेगा या नहीं चलेगा ?
24:41अगर आपने सीधा सीधा सवाल पूछा, आपकी जाति क्या है ?
24:44� Sports कैने श्युष्टा में से हैं ?
24:45तो तमामव जाति के लोगों की इन्फी होगी
24:47और यह पता चलेगा अलग-अलग जाती कितने प्रतिश्यत लोग हिंदुस्तान में रहते हैं
24:52आपको नहीं लगता है कि ऐसा पंडॉरा फॉक्स कुलने वाला है
24:55जो कई तरह की पॉसिबिलिटीज आगे क्रियेट कर रहा है
24:59पॉसिटिव नेगेटिव बोथ
25:01गुझे लगता है कि अच्छा है कुछ आखड़े आए अभी रूमर्स है
25:04अभी जैसे पिछडी जातियों का ओबीटी का डेटा आता है
25:09लेकिन हो सकता है कल ब्राहमन समाज यह कहते कि हमें भी अपना नंबर जानना है
25:14कि हम कितने हैं या शत्री समाज उठके खड़ा हो जाए कोई दूसरा समाज हो जाए कोई हर्ज नहीं है जब आप सवाल पूछी रहे हैं तो जो OBC या दलित या ST से क्यों पूछें खासकर कि आपकी जाती क्या है क्यों आप हर व्यक्ति से पूछ लें जिससे इन सब चीजों क
25:44स्पेकुलेशन पर भी एक तरश से कंटेशिशन होता है जो हकीकत सामने आएग उस पर भी कंटेस्टिशन होगा अब सवाल है कि यह किसी चीज से कितना बचते रहें अगर वी मिटशिं की बात कर लें
25:55तो डी लिमिटेशन आपको याद होगा जब पिछला डी लिमिटेशन दोहजार साथ आठ में हुआ उस वर्ट पीस की चर्चा होती थी कि भाई अगर आपने सारे कंस्ट्विंसी के साइज जो बेसिक प्रिंसिपल है इसके आधार पे किया तो साउथ के जो स्टेट थे चार स
26:25उस वक्त सरकार ने इस समस्या को निप्ताने के लिए उन्हों इसको डिफर कर दिया तो कहते है इसको टाल दिया चोड़ो देखी जाए गया अभी यह कर लेते हैं तो हमने कहा वो ट्रंकेट डिलिमिटेशन था लिकिन पूरी तरह से नहीं हुआ जैसा होना चाहिए था उस
26:55पूरी कहते हैं कि हमने एद्युकेशन पर काम किया तो वह हमने इसले किया काम कि उससे बहतरी कर रास्ता खुले में ऑगर जो कहरें कि पंडारा बॉक्स कुलेगा अपने अगर ओपी सी समुदाए के लोगों की गिंती की जातियों की गिंती की सब पूरा हो गया और उसके �
27:25हो जाए और वो पेश कर दिया जाए कितनी किसकी गिंत है संख्या है बाद में पॉलिसी डिसीजन जो भी करना हो तो गिंती करने में कोई हर्च नहीं है और इसके लिए मैं बार बार कर रहा हूं स्पेकुलेशन से अच्छा है तथ्यों को सामने लाने इन फैक्ट जर इस प
27:55जाती से जोड़ी भी राजनीती या फिर राष्ट्रवाद से जोड़ी भी राजनीती सारी चीजे पैरलल चलती रहेंगे ऐसा नहीं है कि अब जातिगत जनगन्ना होने के बाद धर्म की राजनीती दब जाएगी धर्म के अधार पर जो पॉलिटिकल मोबलाइशन वो कम हो
28:25पार्टिया बना रही थी यह जरूर था कि जो कहते हैं धर्म के पिछ पर बीजेपी को हरा पाना मुश्किल है अब याद कीजे एक समय में ऐस्टेलिया में बड़े फास्ट पिछेज होते थे और इंडिया के पास फास्ट बॉलर नहीं होते थे तो वहां फास्ट बॉलर ल
28:55और उस पिछ की तलाश में उन्होंने कहा सोचा कि हम क्यों ना जाती का साहरा ले और जाती के अधार पर मॉबलाइशन की का प्रोसिस करें गोल बंदी उसके अधार पर हो यैसे क्रिकेट की बाश्या में कहूंग तो इंडिया ने एक समय में स्पिनर्स का साहरा लेते थे त
29:25नहीं मिली UP में सफलता मिली Bihar में नहीं मिली सफलता Rajaalthyар में सफलता मिली लेकिन किसी Gust modest approach में सफलता नहीं मिली तो कार्टकी अधार पर करने की कोशिछ कि लेकिन मुझे लगता हिनके पास यह हतियार था जिसका इलोंने इस्तौमाल किया और आने वाले समय में भी कोशि
29:55रहेंगी किसी के खत्म होने या किसी के आगे बढ़ने की गुझाईश अभी तो कम दिखाई पड़ती है यूथ जो है उसको लेकर से काफी बात होते हैं कि यूथ के एस्पिरेशन अलग है उनका अब अलग है पॉलिटिक्स को देखने का समझने का जाती आधारित राजनिती
30:25कि यूथ का जो इलेक्टोरल पाटिसिपिशन उनका टर्नाउट इलेक्शिंस में कम होता था एवरेज टर्नाउट से लगभग 4 या 5 परसेंट कम कहने का मतलब अगर देश में 60 प्रतिशत मददान होता था अलग-अलग सभी आयूवर्क के लोगों का अगर आप निचोड �
30:55अखरी तर्नाउट 66 परसेंट युवाओं का टर्नाउट 68 परसेंट जहां 4 परसेंट से 2 परसेंट सर्पलस हुआ और यही ट्रेंड लगभग 19 के चुनाऊओ में भी और 24 के चुनाऊओ में भी चलता रहा है युवाओं की भागेदारी बढ़ी है लेकिन क्या बहुत अलग
31:25मुदिक ली जो अट्रेक्शन है लीडर्शिप का उसके आधार पर उनका पॉलिटिकल मोबिलाइशन काफी दिखाई पड़ता है बिहार इलेक्शन अब सर पर है करनाटिका की चुनाव होंगे आपको लग रहा है इसका इंपक्ट सर वहां पर जाएगा यह सवाल मैं इसलिए
31:55आरजडी और उनके सहीयोगी इस बात को लेके प्रचार करेंगी कि हमारे दवाब में आके बीजेपी ने यह काम किया है और दूसरी और बीजेपी इस बात का क्रेडिट लेने की कोशिश करेगी कि हमने करवाया है और बिहार में भी जातिय जनगंडना हुई थी उस वक्त �
32:25अगर आप एक सब्सक्रेश बंटन करती हैं आप्स बादाना लकाल पेखेश करती हैं कि कौन सा एसा इस लाका है जहां पर दूर-दूर तक ऐस्पताल नहीं है
32:53स्कूल नहीं है और उसके अधार पर आप ये देखते कि यहां पे इस्पताल बनाना चाहिए तमाम सेंट्रल इंवर्स्टीज खुली है और वो अलग-अलग छोटे-छोटे जगों पर खुली है अगर आप बिहार की बात करें तो बिहार में दो सेंट्रल इंवर्स्टी कुली
33:23क्योंकि सरकार के पास आंकड़े थे कि सिक्षा की जो व्यवस्था होनी चाहिए स्टूडेंट्स के लिए वहां पे नहीं एवलेबल नहीं है उन्हें वहां पे युनिवर्स्टी खुली तो कोई भी आंकड़ा है वो सरकार के काम पे सरकार के इनिशेटिव में मदद करती ह
33:53है OBC समुधाय के लोगों की जब गिंती होगी और यह पता चलेगा कि उनकी आर्थिक स्थिती क्या है और आर्थिक
34:01स्थिती के अधार पर क्या उनमें पिछडापन है या नहीं है इसके अधार पर तमाम सरकारे तमाम
34:07इनिशेटिव ले सकती है मेरी तो यहीं उमीद है कि पॉलिटिक्स इससे दूर रहे आकड़े आए आकड़े एकठा किये जाए और इन आकड़ों के आधार पर यह पता अगर चले कि सचमुच
34:19सब्सक्राइब के लोग आर्थिक स्थिती के रुप से बहुत पिछड़े हैं तो सरकार को पहल करनी चाहिए लेकिन अगर आकड़ों से यह पता चले कि उनके आर्थिक और सामाजे की स्थिती बहुत अच्छी है या बहतर है तो सरकार को बहुत समझ के निड़ने लेने की �
34:49चले आज आपके भी अनुभव का हमने पूरा यहां पर फाइदा उठाया है कोशिश कहर यही थी कि इसके इरिजिट अभी जितनी भी संशे हैं या जितनी भी सवाल हैं उनको हम एक्सपर्ट के जरीए दर्शकों के सामने रखें तो थांक्यू सो मच्छ सर अपना टाइम �
35:19सब्सक्राइब तो कि यू नमस्टे