इस साल 20 नए टाइटल लेकर आ रही सभा, एक लाख से ज्यादा किताबें हैं संरक्षित, पुरानी रचनाओं के संग्रह का हो रहा नवीन प्रकाशन.
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00:00नागरी प्रचानी सभा आप सब जानते ही हैं, हिंदी का सबसे प्राचीन और जीवित निकाय है, बीच में कुछ समय नागरी प्रचानी सभा का अच्छा नहीं रहा और जो अच्छा न हो हमारी परंपरा में उसको उपेक्षित ही कर देना वरेणिय है
00:20हम लोगों ने सभा के प्रकाशन के प्रकल्प को फिर से शुरू किया है, बीस्वी सदी में याने सन 1900 से 1950 साथ की अवधी तक सभा ने खड़ी बुली हिंदी में आलोचना, व्याकरण, भाशा और सहित्य का इतिहास, आदी अनेक विशियों पर लोको पयोगी न जाने कित्ती �
00:50उस्ताद लेखोकों ने लिखी थी, सभा के पास उन पुस्तकों का कॉपी राइट रहा आया है, हमने उन पुस्तकों को जो समय के निरंतर प्रवाह में वर्तनी आदी भाशा की चूकों से भर गई थी, फिर से प्रकाशित करना शुरू किया है, और इस करम में आचारे राम
01:20कि हिंदी साहित का इतिहास जो है, एक ऐसी पाठ्य पुस्तक है, जो हिंदी साहित में दिल्चस्पी रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए आज तक अपने लिखे जाने के 95 बरस बात तक, उसका पहला एडिशन 1929 में आया था, अभी 2025 चल रहा है, वो किताब प्रासंगिक
01:50प्रामानिक संस्क्रण उसका प्रकाशित किया है, जिसको हाथों हाथ लिया जा रहा है, और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से, सीधे सभा के पुस्तक विक्रे के इंद्र से, और देश भर में विदेशों तक में फैले हुए अपने शुब चिंतकों, अध्यता�
02:2025 दिन में, 30 दिन में मेरे ख्याल से 500 से ज़दा प्रतियां बेच चुके हैं, ये एक बहुत संतोश्प्रद आंकड़ा है हिंदी में, और आगे इसका क्रम और बढ़ने की उमीद है, हम उसके नए संस्क्रण लाएंगे, ऐसे ही हिंदी के आदी कवी, अमीर खुसरो की हिंद
02:50हिंदी में उनकी लिखी पहलियों, मुकरियों का एक संग्रह जो है, नागरी प्रचाणी सभा ने प्रकाशित किया था 1922 में, और उसे संकलित संपादित किया था भारतें रूह हरिश्चंदर के नाती, और स्वयम में बड़े अच्छे साहितेकार वरजरतन दास जी ने, छ
03:20दिल्चस्प मनोरंजक, उसका नाम है अमीर खुसरो की हिंदी कविता संकलन संपादन वरजरतन दास, इस तरह से हमने कई किताबे पाइप में रखी हुई है, हमने अपना जर्नल प्रकाशित करना तै किया है, नागरी प्रचाणी पत्रिका नाम की वो शोध पत्रिका पूर
03:50रानी केतकी की कहानी, एक बहुत पुरानी किस्सागुई के शिल्प में लिखी हुई कहानी है, चौसठपनी की किताब बन रही है, वो भी आने वाली है, रस सिद्धान्त पर जो भारतिय सहित परंपरा का बहुत उज्वल मानमूल्य है, उस पर आचारे रामचंद्र शुक
04:20ले आएंगे, दर असल वो हैं पुराने टाइटल, लेकिन नई निगाह से संक्राइब और सभा में फुटफॉल बढ़ा है,